शनिवार, 6 अगस्त 2016

कुरान का गणित

आपने #जोकर_नायक का वो विडियो जरूर देखा होगा जिसमे वो 2 +2 =4 के गणित का उदाहरण दे कर समझाता है कि सिर्फ इस्लाम ही सही मज़हब है बाकि सब गलत हैं। जोकर नायक और इस्लाम का गणित तो हम अगले पैराग्राफ में देखेंगे पहले एक रोचक तथ्य इस ज़ाकिर नायक के बारे में जो इसके ड्राइवर ने बताया वो भी सबको जान लेना ज़रूरी है। 
सभी बहुत आश्चर्यचकित होते हैं कि भरी भीड़ में से कोई शख्स उठता है सवाल करता है और यह जोकर फर्रर फर्रर से कुरान और अन्य धर्मशास्त्रों का हवाला देते हुए जवाब दे देता है। 
तो जनाब इनके ड्राइवर के हिसाब से , पूरी भीड़ किराये की होती थी। सवाल पूछने वाला भी किराये का होता था। क्या सवाल पूछा जाना है और कितनी बहस करनी है यह भी उसे सिखा कर लाया जाता था। और इस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट जोकर सऊदी अरब में बैठे अपने आकाओं को इस तरह देता था कि इस तरह उसने इतने काफिरों का ईमान बदल कर ईमानवाला बना दिया है , बदले में एक मोटी रकम इनके "इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन " में ट्रांसफर हो जाती थी। 
वैसे किसी भी वक़्त में मज़हब का धंधा  सबसे फायदेमंद बिज़नेस रहा है , अगर जोकर यह बिज़नस कर रहा था तो भला मुझ जैसा निकम्मा आदमी जो कोई बिज़नस नहीं कर सका इन पर उंगली उठाने का हक़ नहीं रखता। भारतीय संविधान के अनुछेद 25 में जबरन या प्रलोभन देकर धर्मान्तरण की मनाही है , तो क़ानून को अपना काम करना चाहिए था। कानून तो बहुत हैं वर्ना निर्भया के बाद भारत में NH 91 होने बन्द हो गए होते।
धंधा कितना भी बढ़िया हो , परंतु अगर उसमे लगने वाली गणित गलत हो तो धंधा बेईमानी का ही होता है। #जोकर_नायक पूरी दुनिया को समझ  रहा है कि अगर किसी स्कूल में 2+2=4 नहीं पढ़ाया जाता तो वो स्कूल बंद कर देना चाहिए। #जोकर_नायक कुरान तो बहुत फर्रर फर्रर बोलते हो कभी उसमे दिए गए गणित को हल करने की ज़हमत की क्या ????? मुझे लगता है , जोकर का ,कुरान की डिक्टेशन देने और लेने वाले दोनों का और कुरान पढ़ कर आज तक सवाल न करने वाले सभी लोगों का गणित में मेरी तरह हाथ बहुत तंग रहा होगा , वर्ना नीचे वाली आयतें अब तक दो वजह से कुरान में से हट जानी चाहिए थीं। 
पहली वजह कि इसमें महिलाओं को समान अधिकार नहीं दिए गए , और दूसरी वजह कि इसका गणित गलत है। 
1) सूरा 4 आयत 11 -----अल्लाह तआला तुमको हुक्म देता है तुम्हारी औलाद के बारे में। लड़के का हिस्सा दो लड़कियों के हिस्से के बराबर, और अगर सिर्फ लड़कियां ही हों अगरचे दो से ज्यादा हों तो उन लड़कियों को दो तिहाई मिलेगा उस माल का जो मूरिस छोड़ कर मरा है ,और अगर एक ही लड़की हो तो उसको आधा मिलेगा। और माँ बाप के लिए यानी दोनों में से हर एक के लिए मैय्यत के तरके "यानि छोड़े हुए माल व् जायदाद "में से छठा हिस्सा है अगर मैय्यत के कुछ औलाद हो, और अगर उस मैय्यत के कुछ औलाद न हो और उसके माँ बाप ही उसके वारिस हों तो उसकी मान का एक तिहाई है,अगर मैय्यत के एक से ज्यादा भाई बहिन हों तो उसकी माँ को छठा हिस्सा मिलेगा (और बाकि बाप को मिलेगा ) वसीयत निकाल लेने के बाद कि मैय्यत उसकी वसीयत कर जाये या क़र्ज़ के बाद,तुम्हारे असूल व् फुरु "यानि बाप दादा और औलाद व् औलाद की औलाद " जो हैं तुम पूरे तौर पर यह नहीं जान सकते हो कि उनमे से कौन सा शख्स तुमको नफा पहुंचाने में ज्यादा नज़दीक है। यह हुक्म अल्लाह तआला की तरफ से मुक़र्रर कर दिया गया है , यकीनन बड़े इल्म और हिकमत वाले हैं।
2) सूरा 4 आयत 12 ---- और तुमको आधा मिलेगा उस तरके का जो तुम्हारी बीवियां छोड़ जाएँ अगर उनके कुछ औलाद न हो। और अगर उनके कुछ औलाद हो तो तुमको उनके तरके से एक चौथाई मिलेगा वसीयत निकलने के बाद कि वे उसकी वसीयत कर जाएँ या क़र्ज़ के बाद। और उन बीवियों को चौथाई मिलेगा उस तरके का जिसको तुम छोड़ जाओ अगर तुम्हारे कुछ औलाद न हो , और अगर तुम्हारे कुछ औलाद हो तो उनको तुम्हारे तरके से आठवां हिस्सा मिलेगा वसीयत  निकालने के बाद कि  वसीयत कर जाओ या क़र्ज़ के बाद। और अगर कोई मैय्यत जिसकी मीरास  दूसरों को मिलेगी , चाहें वह  मैय्यत मर्द हो औरत ,ऐसी हो जिसके न असूल हों न फुरु , यानि "न बाप दादा की जानिब से और न औलाद की जानिब से कोई हो" और उसके एक भाई और एक बहिन हो तो उन दोनों में से हर एक को छठा हिस्सा मिलेगा। फिर अगर ये लोग इससे ज्यादा हों तो वे सब तिहाई में शरीक होंगे वसीयत निकालने  के बाद,जिसकी वसीयत कर दी जाये या क़र्ज़ के बाद ,शर्त यह है कि किसी को नुक्सान न पहुंचाए , यह हुकुम किया गया है खुदा तआला की तरफ से। और अल्लाह तआला खूब जानने वाले हैं, हलीम हैं।    
तो आइये उपरोक्त आयतों के आधार पर एक दो समीकरण सुलझा कर देख लेते हैं कि जब खुदा ये कोटे फिक्स कर रहा था , तब उसने ऐसा कोई कायदा नहीं बनाया कि किसी आदमी के कितने लड़के होंगे , कितनी लडकिया होंगी , कितनी बीवियाँ होंगी और कितनी माएं होंगी। और जब वो मरेगा तो कौन कौन पीछे से जायदाद का हिस्सा पाने के लिए ज़िंदा रहेगा। जब हमने साधारण से साधारण  समीकरण सुलझाए तो पाया कि या तो बटवारे की जायदाद कम पद रही है या बच जा रही है। 
तो #जोकर_नायक जिस गणित के सहारे तुम सारे मज़हबों को गलत ठहरा रहे हो उसी गणित में तुम्हारे खुदा का गणित में हाथ बहुत ही तंग था और तुम्हारी आसमानी किताब का गणित ही गलत है । अब क्या किया जाये ????? तुम्हारे धर्म और धर्मान्तरण के स्कूल बंद कर दिए जाने चाहिए न ????  
 
1 Example---- he leaves more than two daughters, a wife, Father and mother.
Wife: 1/8 = 3/24
Daughters: 2/3 = 16/24,
Father: 1/6 = 4/24
,Mother: 1/6 = 4/24,
Total = 27/24=1.125

2 Example-----If he leaves 3 daughters, one son, a wife and Father-Mother,( as per first condition, A male child shall receive a share equivalent to that of two females)

3 Daughters = 2/3
One son = (2/3)*(1/3)*2 = 4/9
Wife =1/8
Father-Mother= 1/3
Total = 13/9 = 1.44

3 Example ---- If he leaves One Daughter, a wife, and Father and Mother.( If there is only one she will receive the half) (but wife inherits one eight if children are left behind) ( Each of the parents receive a sixth of what one leaves if he has children) 

One Daughter = 1/2
Wife = 1/8
Father & Mather = 1/3
Total = 23/24 = 0.9583

वैसे वर्ष 610 AD में जब कुरान उतरनी शुरू हुई थी , तब तक भारत में नालन्दा विश्व विद्यालय अपनी पराकाष्ठा पर गणित , शून्य और दशमलव पढ़ा रहा था। पता नहीं खुदा और जिब्रील ने डिक्टेशन देने से पहले वहां कोचिंग क्यों नहीं ली।