आज़ादी भारत ने ली थी या भारत को दी गयी थी ??? अगर आज़ादी भारतियों ने लड़ कर ली थी तो इसका असली श्रेय किसे मिलना चाहिए ??? सवाल अटपटा सा है न।
खैर जब इतिहास लिखा जाता है तो लिखने वाला अपने नज़रिये से घटनाओं को लिखता है। कांग्रेस कोई मौका नहीं चूकती दुनिया को ये बताने में कि आज़ादी उन्होंने दिलाई। क्लास एक से बारह तक "आज़ादी की लड़ाई " नाम के अध्याय में गाँधी नेहरू टैगोर सरोजिनी नायडू और दो चार नामों के इलावा कौन सा नाम पढ़ाया जा रहा है आज कल ??? लाल बाल पाल की तिकड़ी, भगत सिंह , सुख देव और राजगुरु के इलावा खुदीराम बोस, चंद्र शेखर आज़ाद, बदल गुप्ता ,दिनेश गुप्ता और बिनोय बासु की तिकड़ी किसे याद है ,---- मातंगिनी हाज़रा ,सेनापति बापत, पोट्टी श्रीराममुलु , तारा रानी श्रीवास्तव , कन्हैया लाल मानेक लाल मुंशी ,कमला देवी चट्टोपाताध्याय, तिरुपुर कुमारन, राजकुमारी गुप्ता ,बिरसा मुंडा ,अल्लुरी सीताराम राजू -- हजारों लोगों ने अपनी जान दी थी जो गुमनामी के अँधेरे में खो गए। कैसे खो गए ???
जैसे कांग्रेस ने पाठ्यक्रम में भगत सिंह को आतंकवादी बता दिया था , जैसे बंगाल सरकार ने 18 साल की उम्र में फांसी के फंदे को चूमने वाले खुदी राम बोस का नाम पाठ्यक्रम से हटवा दिया उसी तरह जब अंग्रेज़ अपना इतिहास लिखते हैं या बच्चों को पढ़ाते है तो वो बताते हैं की उन्होंने भारत को आज़ादी --ब्रिटिश पार्लियामेंट में " Indian Independence Act " 5 जुलाई 1947 को पास करके दी थी।
यह बात ठीक है कि अंग्रेज़ भारत छोड़ने का मन बना चुके थे और उसपर अपने देश के क़ानून के हिसाब से इंग्लैंड के हाऊस ऑफ़ कॉमन्स में एक्ट के रूप में पारित करके किया लेकिन उनका भारत से मोहभंग क्या गाँधी उनके भारत छोड़ो आन्दोलन और कांग्रेस के कारण हुआ था ??? नहीं।
कितने लोगों ने इतिहास के पन्नों में यह पढ़ा है कि 1946 में भारतीय जल सेना और थल सेना ने अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह किया था। आगे जो लिखने जा रहा हूँ उसे बेहतर समझने के लिए नीचे दो लिंक्स दे रहा हूँ चाहें तो पढ़ सकते हैं अन्यथा इतना तो समझ ही लीजिये कि भारतीय सैनिकों में अंग्रेज़ों के प्रति वफादारी ख़त्म हो चुकी थी।
पी बी चक्रवर्ती जो कि 1956 में कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और बंगाल के कार्यकारी राज्यपाल भी थे ने प्रसिद्द इतिहासकार आर सी मजूमदार की पुस्तक A History Of Bengal के प्रकाशक को एक पत्र द्वारा बताया -- (ब्रिटिश पार्लियामेंट में इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट पेश और पास करवाने वाले इंग्लैंड के प्रधानमंत्री ) क्लेमेंट एटली (1945-1951) 1956 में भारत आये। वे कोलकाता के राजभवन में दो दिन ठहरे थे। उनके इन दो दिनों के प्रवास में मेरी उनसे उन असली तथ्यों पर लम्बी चर्चा हुई जिनके कारण अंग्रेज़ों को भारत छोड़ना पड़ा। चक्रवर्ती आगे लिखते हैं कि मेरा उनसे सीधा सवाल था कि जब गाँधी जी के #भारत_छोड़ो आन्दोलन को बिखरे हुए बहुत समय हो गया और 1947 में ऐसे कोई बाध्य कारण नहीं थे जिनसे अंग्रेज़ों का जल्दबाजी में भारत छोड़ना अपरिहार्य हो जाये, तो उन्होंने भारत क्यों छोड़ा ????
अपने जवाब में एटली ने बहुत से कारणों में से नेताजी की सैन्य गतिविधियों के कारण थल सेना और जल सेना में ब्रिटिश राजशाही के प्रति वफादारी बहुत तेजी से ख़त्म होने को मुख्य माना।
चक्रवर्ती आगे लिखते हैं कि बात यहाँ ख़त्म नहीं होती। अपनी चर्चा के अंत में मैंने एटली से पूछा कि अंग्रेज़ों के भारत छोड़ने के निर्णय में गाँधी का कितना प्रभाव था। यह सवाल सुनकर एटली के होंठ व्यंग्यात्मक मुस्कान के साथ मुड़े और उन्होंने चबाते हुए एक शब्द कहा m-i-n-i-m-a-l ( अति सूक्षम )
उपरोक्त पोस्ट या निम्न लिंक पढ़ने के बाद आप तय करिये आज़ादी लेने का श्रेय किसे मिलना चाहिए था।
उपरोक्त पोस्ट या निम्न लिंक पढ़ने के बाद आप तय करिये आज़ादी लेने का श्रेय किसे मिलना चाहिए था।