#दि_क़ुरानिक_कॉन्सेप्ट_ऑफ़_वॉर ----------
#अगर_आप_आदमखोरों_के_साथ_खाना_ खाने_जा_रहे_है_तो_देरसवेर_आप_ भी_उनका_भोजन_बनेंगे ------ भारत के तमाम छोटे बड़े तथाकथित सेक्युलर आदमखोरों और ईद के उपलक्ष्य में कुरान को समर्पित है आज की यह पोस्ट।
ईरान इराक सीरिया इंग्लैंड ब्रुसेल्स अफगानिस्तान कश्मीर रोज़ दुनिया का कोई न कोई कोना आतंकवादी घटना का शिकार होता। और फिर रेत के टीले में सिर घुसेड़े धर्मनिरपेक्ष शतुरमुर्ग बयां देते हैं कि आतंकवादियों का कोई मज़हब नहीं होता।
आतंकवादियों की बात छोड़ दें , कश्मीर में अब फ़ौज या पुलिस में भर्ती कश्मीरी भी मारे जाने लगे हैं ???? या पकिस्तान भारत के रोज़ रोज़ ऊँगली करता रहता है, मालूम है क्यों ????
कुरान --सूरा 2, आयत 193 मुसलामानों को आदेश देती है कि " तुम उनसे लड़ो यहाँ तक कि फितना ( कुफ्र का उपद्रव) शेष न रह जाए और दीन अल्लाह का ही हो जाये . . . . . . . ". कुरान का सम्पूर्ण दर्शन ही जिहाद है।
अगर आपको कुरान का जिहादी दर्शन समझना है तो आपको पाकिस्तानी फौज में राष्ट्रपति जिया उल हक़ के कार्यकाल में उनके एक ब्रिगेडियर एस के मलिक ने एक किताब लिखी थी " दि क़ुरानिक कांसेप्ट ऑफ़ वॉर "
इस किताब की प्रस्तावना खुद ज़िआ उल हक़ ने लिखी थी और इसकी भूमिका भारत में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके "अल्लाह बक्श ब्रोही ने लिखी थी। इसकी भूमिका में ब्रोही लिखते हैं " ----
इस्लामी शब्दकोष में #जिहाद सर्वाधिक गौरवशाली शब्द है , जिसका अंग्रेजी में अनुवाद संभव नहीं , लेकिन जिसका प्रयोग उद्यमशील, संघर्षशील और अल्लाह के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में प्रयासरत रहने के अर्थ में अधिकता से किया जाता है। इसके आगे अपनी लम्बी चौड़ी प्रस्तावना में ब्रोही लिखता है कि -पश्चिमी चिंतक अक्सर क़ुरान की आयतों पर उंगली उठाते हैं कि इनकी वजह से इस्लाम के अनुयायी गैर इस्लामियों के साथ हमेशा संघर्षरत रहते है। उनके लिए यह जवाब काफी है कि ---खुदा के गुलाम द्वारा खुदा के हुक्म को न मानना उसे इस्लामिक क़ानून की दृष्टि में गुनहगार मानती है और उसका इलाज वैसे ही किया जाना चाहिए जैसे कैंसर युक्त अंग को शरीर से काट कर अलग कर दिया जाता है जिससे कि बाकि की इंसानियत को बचाया जा सके।
ब्रिगेडियर मलिक ने अपनी इस पुस्तक में कुरान से बहुतेरे से उद्धरण देकर कहा है कि ----"#जिहाद_अनवरत_चलने_वाली_ लड़ाई_है जिसे काफिरों के खिलाफ लड़ा जाता है। ब्रिग मलिक ने लिखा है , " जिहाद कुफ्र के विरुद्ध राजनितिक, आर्थिक ,सामाजिक,मानसिक,नैतिक,आध्यात् मिक ,गृह और अंतरराष्ट्रीय मोर्चों पर लड़ी जाने वाली सदा चलते रहने वाली लड़ाई है। सशस्त्र युद्ध तो उसके अनेक तरीकों में से एक है। जिहाद हर मुसलमान का निजी और सामूहिक फ़र्ज़ है।
मलिक आगे लिखते हैं "जिहाद में हमारा लक्ष्य दुश्मन का दिल और दिमाग होता है। दुश्मन के दिलों में पैदा किया हुआ खौफ या आतंक हमारा साधन नहीं बल्कि लक्ष्य होता है। यदि एक बार दुश्मनों के दिलों में खौफ पैदा कर दिया फिर कुछ और करने के लिए बाकि नहीं बचता। आतंक दुश्मन पर निर्णय लादने का साधन नहीं है बल्कि लादा हुआ निर्णय होना चाहिए। सिर्फ वही रणनीति सीधा परिणाम पैदा कर सकती है , जो तैयारी की अवस्था से ही शत्रुओं के दिलों में आतंक उत्पन्न करने के लक्ष्य की ओर केंद्रित हो" ( पृष्ट 59 )
अपने इस कथन को साबित करने के लिए मलिक सूरा 8 आयत 12 को उद्घृत करता है जिसका हिंदी तर्जुमा इस तरह है --- जबकि आपका रब फरिश्तों को हुक्म देता था कि मैं तुम्हारा साथी हूँ, सो तुम ईमान वालों की हिम्मत बढ़ाओ , मैं अभी काफिरों के दिलों में रौब डाले देता हूँ , सो तुम काफिरों की गर्दनों पर मारो और और उनके पोर पोर मारो।
ब्रिग मलिक आगे लिखता है कि " उनके दिलों में दर तभी भरा जा सकता है यदि आप उनकी आस्था को ध्वस्त कर दें। अंतिम विश्लेषण का निष्कर्ष यही निकलता है कि काफिरों के दिलों में दर भरने के लिए उसकी आस्था की नींव हिला दी जाये। (पृष्ट 60)
उपरोक्त कथन को सूरा 9 आयत 5 के परिपेक्ष में देखिये --- " फिर जब हुरमत के महीने बीत जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ कहीं पाओ कत्ल करो और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर जगह घात लगा कर उनकी ताक में बैठो। फिर अगर वे तौबा कर लें , नमाज़ कायम करें, ज़कात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो।
ब्रिग मलिक ने तो #दि_क़ुरानिक_कांसेप्ट_ऑफ़_वॉर , कुरान के आधार पर 164 पन्नों की लिख दी जिसका अंश आपके लिए मैंने यहाँ लिखा है।
पूरी कुरान में काफिरों को मुसलमान बनाने की ज़द्दोज़हद में जिहाद के ऊपर 164 आयते लिखी गयीं हैं। इन आयतों का सारांश यह है कि कुरान या खुदा की बात मनवाने के दौरान अगर कोई मर भी जाता है तो उसे जन्नत नसीब होगी और यही खुदा की इबादत का दूसरा सबसे बेहतरीन तरीका है।
कभी कभी भटके हुए नौजवान क़ुरान और हदीस के संदेशों के ऊपर अपना ज्ञान झड़ने और इस्लाम को सहिष्णु दिखने के लिए और ऊपर लिखी सूरा 9 की आयत 5 के सन्दर्भ समझने लगते हैं। उन सबकी जानकारी के लिए बता दूँ कि क़ुरान में कुल 114 सूरा ( चैप्टर) हैं और सूरा 9, 113वें नम्बर पर सुनाया गया था यानि कि यह चैप्टर पहले के सब चैप्टर्स पर ग़ालिब माना जाये। और इस सूरा में साहब ने कह ही दिया था कि जो मुसलमान न बने उसे निपटा दो।
अब समझ में आया आपको कि फ्रांस में क्यों गला कटा जाता है , इंग्लैंड में क्यों जनता के ऊपर ट्रक चढ़ाया जाता है, ब्रुसेल्स में क्यों धमाका होता है , इंदौर पटना ट्रेन क्यों हादसे का शिकार होती है , भोपाल उज्जैन ट्रैन में धमाका क्यों होता है , या पाकिस्तान सैनिकों के शव क्षत विक्षत क्यों करता है ????? #पिछले_30_दिनों में (रमज़ान के महीने में )दुनिया भर 29 देशों में 164 इस्लामिक हमले हुए जिनमे 1540 लोग मारे गए 1629 लोग घायल हुए। लिस्ट निम्न लिंक में दी गयी है।
मकसद सिर्फ दिलों में खौफ पैदा करके ईमान कबुलवाना। मकसद पूरी दुनिया को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है। मकसद आपकी आस्था की नीवें हिलाना है। और इसी मकसद से #दि_कुरानिक_कांसेप्ट_ऑफ़_वॉर, जो कि मुझे कुरान का संशोधित संस्करण नज़र आती है ,लिखी गयी है।
मेरी मित्रता सूची में जो सेक्युलर इसे पढ़ चुके हैं , वे सब कुछ भूल कर कल ईद मिलन की तैयारी शुरू कर दें। क्योंकि भुगतना आपने नहीं आपकी आने वाली पीढ़ियों ने है। Please Go ahead and enjoy the BEEF PARTY.