शनिवार, 22 जुलाई 2017

भाड़ में गयी हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएँ और वैज्ञानिक शोध।


गज़ब बेवकूफों का देश है भारत। लिंचिंग के ऊपर संसद में बहस कर रहे हैं लेकिन यह कहने का दम किसी में नहीं है कि अगर बहुसंख्यकों की धार्मिक  भावनाओं को आहत करोगे तो नतीजा कुछ ऐसा ही निकलेगा। 
भाड़ में गयीं बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाएं। किसी के पीट पीट कर मारे जाने पर ही इंसानियत शर्मसार होती है क्या ???? फेसबुक और संसद में लिंचिंग की अलग अलग गिनती सामने आ रही है। कोई दस कह रहा है , कोई तेईस कह रहा है।  इन 23 मौतों से संसद हिली जा रही है, क्यों  ???? आप भारत के अलग अलग हिस्सों में रहते होंगे। अखबार भी पढ़ते होंगे। आपके क्षेत्र के अखबार में रोज़ दो या तीन घटनाएं बलात्कार के बाद हत्या की छपती हैं। यदि सिर्फ बलात्कार की बात करें तो यही दो-तीन आपके क्षेत्र की मिल कर भारत में 2015 में 34600 हो गयीं थीं।  लेकिन संसद विधानसभा का हिलना तो छोड़िये हम भी पढ़ कर अगली खबर पढ़ने लगते हैं , क्यों ???? संसद  छह महीनों में 23 हत्याओं से इसलिए हिलती है क्योंकि मरने वाला मुसलमान होता है। और बलात्कार फिर उसके बाद हत्या झेलने वाली बच्ची , लड़की , महिला या वृद्धा इनकी न तो अस्मिता  की कोई इज़्ज़त है और न जान की कोई कीमत , तो फिर संसद  में कोई क्यों मुद्दा उठाने लगा इन दसियों नहीं सैकड़ों नहीं हज़ारों बलात्कारों का , और उन मासूमों का जिनकी हत्या हो गयी। 
2006 का निठारी काण्ड याद है , 15 नरमुंड मिले पुंडीर और कोली के पास। अगर 20 वर्षीय पिंकी सरकार को इन लोगों ने न मारा होता तो इनका वीभत्स खेल यूँ ही चलता रहता। क्यों ????? पहले 14 बच्चे जब इनके शिकार हुए तो कानून व्यवस्था क्या कर रही थी ???दिल्ली की ज्योति पर रोने वाले लोग थे , रोहतक में बलात्कार फिर हत्या के ऊपर रोने वाले थे, शिमला में बलात्कार फिर हत्या उस बच्ची के लिए रोने वाले हैं। लेकिन जैसे निठारी के 14  बच्चों और अनगिनत बलात्कार और हत्यायें जो लोगों के संज्ञान में नहीं आतीं उनके ऊपर कोई रोने वाला नहीं है कोई अवार्ड वापसी वाला नहीं है उसी तरह से #हलाल करके मारी गयी गायों के ऊपर भी कुछ ही रोने वाले हैं। 

भारतीय सुप्रीम कोर्ट में इतना दम तो है नहीं कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 48 का या अपने ही 2006 के आदेश का पालन करवा ले हाँ, होली, दिवाली दही हांड़ी कैसे मनाई जाये या गौरक्षकों को न बचाया जाये इसके लिए आदेश पारित करने में एक दिन का समय नहीं लगाती वहीँ मुसलमानो की धार्मिक भावनाएं आहत न हों उसके लिए तीन तलाक जैसे मुद्दों को धार्मिक रंग चढ़ा कर फैंसला सुरक्षित कर देती है। 
खैर भाड़ में गयीं हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं। गाय काटो और खाओ संसद में तुम्हारे इस हक़ लिए चिल्लाने वाले बहुत मौजूद हैं।  अजी गाय की बात छोड़ो मुसलामानों को खुश करने के लिए तो संसद में तथाकथित हिन्दू नेताओं को व्हिस्की में विष्णु और रम में राम नज़र आ सकते हैं लेकिन रमज़ान में रम और पैगम्बर में पैग नज़र नहीं आ सकता। 
भाड़ में गयीं हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं। लेकिन इन्ही धार्मिक भावनाओं को यदि वैज्ञानिक जामा  पहना दिया जाता तो आज तक जो 881 नोबल प्राइज बंटे हैं उनमे से एक उस ऋषि को मिलता जिसने गाय को पूजनीय बनाया। वैसे क्या आपको मालूम है कि अब तक 881 में सेपूरी दुनिया में सिर्फ 12 नोबल पुरूस्कार मुसलमानों को मिले हैं उसमे से भी 3 को ही विज्ञान के लिए मिले है। गाय, विज्ञान के लिए नोबल पुरूस्कार और मुसलमानो को मैंने क्यों जोड़ा ???? इसलिए क्योंकि विज्ञान के इनके शोधार्थी आज भी सूरज को ही पृथवी का चक्कर काटते हुए बताते है और  औरत को इन्सान न मान कर सिर्फ स्तनधारी प्राणी की श्रेणी में ही रखते है और गाय काटने का काम भी यही करते हैं तो फिर इनसे गाय की वैज्ञानिक उपयोगिता की बात करना निरी मूर्खता है क्योंकि इनकी कुरआन में तो खून, रेंगने वाले जानवर , बिना खुर वाले जानवर और सूअर के इलावा सब कुछ खाना जायज़ बताया गया है। 
गाय के उत्पादों के विदेशी वैज्ञानिकों द्वारा बताये गए औषधीय गुणों  के ऊपर एक लेख 4 जून के पहले ही लिख चूका हूँ जिसमे गठिया मधुमेह मोटापा  और कैंसर जैसी बिमारियों के इलाज की दवाइयाँ गाय के दूध और गौमूत्र से बनायीं जा रही हैं , जिसका लिंक नीचे दे रहा हूँ। 


लेकिन हाल ही में #स्क्रिप्स_इंस्टिट्यूट_और_ए_एंड_एम_विश्वविद्यालय_टेक्सास में किये गए एक शोध के अनुसार गाय से एच आई वी (एड्स) की दवाई बनायीं जा सकती है। (पूरी जानकारी के लिए निम्न लिंक क्लिक करें )


दो दिनों से एक पोस्ट चल रही है जिसमे बीफ 1 , बीफ 2 और बीफ 3 तरह की किस्में बता कर यह साबित किया गया है कि बीफ -3 गाय का मांस होता है और भारत में इसका उत्पादन और उपभोग नगण्य है। चलिए मान ली आपकी बात , पर इतना ध्यान रखियेगा कि बीफ 3 को वील भी कहते हैं। नीचे लिंक दे रहा हूँ जिसमें अमरीका के कृषि विभाग ने भारत के पशुओं के सन्दर्भ में डाटा दिया है , आँखें खोल कर देख लेना क्या सिर्फ भैंस काटे जा रही है भारत में ???? क्या सिर्फ भैंस के मांस के निर्यात के बल पर भारत विश्व में बीफ का सबसे बड़ा निर्यातक देश है ???? नहीं। बीफ के साथ साथ उसमे वील ( Veal) भी लिखा है। और एक सांख्यिकी यह भी दी है कि 2007 के मुकाबले 2012 में 19वीं पशु गणना के अनुसार भारत में पशुओं की संख्या सिर्फ 4.1% गिरी है। 


अभी ये बातें न अवैज्ञानिक मुसलामानों को नज़र आयेंगी ( क्योंकि वो तो शारीरिक व्यायाम योग को भी अपने मज़हब के खिलाफ मानते है ) न मुसलामानों के वोटों के भूखे सांसदों को नज़र आएँगी न फट्टू सुप्रीम कोर्ट को नज़र आएँगी। जब गाय की उपयोगिता नज़र और समझ आएगी तब तक गायों की हालत सफ़ेद गैंडे , बाघ , काले हिरण गिर के शेर जैसे लुप्तप्राय जानवरों जैसी हो जाएगी। 


भाड़ में गयी हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएँ और वैज्ञानिक शोध।  मुसलामानों को तो गाय का ही मीट खाना है उसके लिए चाहे जान देनी ही क्यों न पड़ जाये बाकि तो सुप्रीम कोर्ट और तमाम अवार्ड वापसी गैंग के सदस्य  है ही इनकी तरफदारी करने के लिए। 
बलात्कार और फिर हत्या , लगता है सबने सऊदी अरब के वैज्ञानिक के शोध को सहमति दे दी है कि  औरत सिर्फ  एक स्तनधारी प्राणी है साल में अगर 35-36000 बलात्कार और क़त्ल हो गए तो क्या फ़र्क़ पड़ता है। फ़र्क़ तो सिर्फ मुसलामानों की मौत से पड़ता है। 

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