अनेक पोस्टों पर मित्रों की टिपण्णियां आ रहीं हैं कि वर्तमान घटनाओं के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। अरे भाई क्यों न हो ?? उसके जीने मरने का सवाल है। कैसे उसके जीने मरने का सवाल है यह जानने से पहले क्या हम बीजेपी को अकर्मण्यता के लिए क्लीन चिट दे दें ??? क्या करता है इनका ख़ुफ़िया तंत्र यदि उसे पहले से इन सुनियोजित षड्यंत्रों की खबर नहीं लगती। मान लिया कि एक घटना हो गयी लेकिन प्रशासन को ऐसे इन्तेज़ामात करने चाहिए कि पहले तो कोई ऐसी घटना करने से पहले दस बार सोचे नहीं तो दूसरी घटना तक इतना सख्त सन्देश चला जाना चाहिए की प्रजातंत्र को मज़ाक समझने वाले ऐसा करने का ख्वाब सपने में भी न लें। ऐसा क्यों नहीं होता, मालूम नहीं लेकिन कांग्रेस ऐसा करने के लिए क्यों मजबूर है यह हम सबको समझना बहुत ज़रूरी है।
एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की मई 2018 में जारी की गयी रिपोर्ट के हिसाब से वर्ष 2015 से 2017 तक कांग्रेस को जितना चन्दा मिला उससे ज्यादा चन्दा शिव सेना और आप को जोड़ कर मिला। रुपयों के हिसाब से कांग्रेस को इस समय में 42 करोड़ रुपये मिले शिव सेना को 26 और आप को 25 करोड़। चन्दे की बात छोड़ दें तो कांग्रेस ने वर्ष 2016 -17 में इन दोनों पार्टियों से साढ़े तीन गुना ज्यादा कमाई की। ( अब यह कमाई कहाँ से की यह ADR को भी नहीं पता। 2016-17 में कमाई के मामले में सपा चौथे नंबर की पार्टी रही( यहाँ चंदे का नहीं पता )। जबकि बीजेपी ने इस समय में 532 करोड़ रूपये चन्दा मिलने की घोषणा की है। फर्क दिख रहा है न , सीधे सीधे 500 करोड़ का नज़र आ रहा है।
कांग्रेस की माली हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि उसने अपने राज्यों की इकाइयों को सुचारु रूप से चलने के लिए भी न सिर्फ पैसे भेजने बंद कर दिए हैं बल्कि पिछले हफ्ते केन्द्र और राज्यों की इकाइयों को 40 दिन का एक जनता से तक पहुँच कर चन्दा इकठ्ठा करने का कार्यक्रम भी तय किया है । एक तरफ बीजेपी ने अपने लिए दीनदयाल मार्ग पर भव्य कार्यालय बनवा लिया है दूसरी तरफ इनके पास इतने पैसे नहीं थे कि उत्तर पूर्वी राज्यों में चुनाव पर्यवेक्षक को हवाई टिकट मुहैय्या करवा पाते। उत्तर पूर्वी राज्यों में हालिया हार का कारन तो कांग्रेस यही बता रही है कि किसी वरिष्ठ सदस्य को चुनाव पर्वेक्षण के लिए नहीं भेज पाए। मजे की बात देखिये कि जिन वरिष्ठ सदस्यों को उत्तर पूर्वी राज्यों की ज़िम्मेदारी दी गयी थी वे इतने निष्ठावान थे कि चुनाव ख़त्म होने तक हवाई टिकट का इंतज़ार करते रहे ट्रैन से नहीं जा सकते थे।
गौर करें 2014 के चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस के मुकाबले डेढ़ गुना ज्यादा पैसा खर्च किया था और साढ़े छह गुना ज्यादा सीटें जीतीं थीं। जिस तेज़ी से कांग्रेस को चंदा देने वालों की संख्या घट रही है अगर ये अगले लोकसभा चुनाव भी हार जाती है तो इसको चंदा देने वाले सारे कुँए सूख जायेंगे और जो इसका अस्तित्व आज खतरे में है कल ख़त्म हो जायेगा।
इसलिए आज कांग्रेस के लिए बहुत ज़रूरी है कि देश भर में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए कैम्ब्रिज अनलयतिका के बताये हुए रास्ते पर चले। कहीं बिहारियों को पिटवायेगी कहीं मनु महारज की मूर्ती काली करवाएगी कहीं रामजन्म भूमि का मुद्दा उठायेगी कहीं एस सी / एस टी एक्ट का मुद्दा उठायेगी कहीं अर्बन नक्सल्स के साथ खड़ी होगी।
पूरा दम लगा कर राफेल मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा ही दिया है जिसकी 10 अक्टूबर यानि की कल सुनवाई होनी है और कैम्ब्रिज अनलिटिका ने इनके तरकश में और कौन कौन से तीर डाल दिए हैं ये मुझ जैसा साधारण आदमी तो समझ नहीं सकता है देखते रहिये अप्रैल 2019 तक क्या क्या गुल खिलते हैं फिलहाल यही हाल रहे तो कांग्रेस को अपनी बत्ती गुल होने से बचाने के लिए यह सब करना ही पड़ेगा जिसके लिए आज सब उसे दोष दे रहे हैं।
हाँ चलते चलते एक बात और बता दूँ , जब मैंने वो रिपोर्ट पढ़ी थी तब रूपया डॉलर के मुकाबले 68 रुपये का था ,आज 74.03 का है और चुनाव आते आते मोदी को हराने के लिए 100 रुपये तक पहुँचाने के लिए विदेशी ताकतें और घर के भेदी पूरी ताकत लगाए हुए हैं। कौन हैं वो लोग जाने के लिए नीचे दिया गया लिंक खोल कर पढ़ लें
https://www.sundayguardianlive.com/news/pm-modi-takes-direct-charge-economic-measures-avert-crisis#.W54mptd_SJE.facebook
बहुत कुछ होगा और सब कुछ होगा भाई ये कांग्रेस के जीने मारने का सवाल है और आपको देश की पड़ी है।