गुरुवार, 9 जनवरी 2014

"क्या वाकई मोदी विनाशकारी है"?

                                           क्या वाकई मोदी विनाशकारी है?

प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह का बयान कि मोदी का प्रधानमंत्री बनना विनाशकारी होगा न सिर्फ उनकी बन्द कमरे के अन्दर की सोच, जोकि वास्तविकता से काफी दूर है, दर्शाता है बल्कि जयचन्द और विभीषण की याद दिलाता है। वे अपने ही देश के सिर्फ लोकतान्त्रिक तरीके से चुने हुए अपितु आज की तारीख में अत्यन्त लोकप्रिय नेता के लिए ऐसा बयान दे रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्तान जो लगातार डंके की चोट पर भारतीय जवानों के सिर काट रहा है, चीन जो आये दिन सीमा उल्लंधन कर रहा है, अमेरिका जो राजनायिकों का बेइज्जत कर रहा है उन सबसे प्रधानमंत्री जी दोस्ताना सम्बन्ध बनाने को आतुर प्रतीत होते हैं।
यदि मनमोहन सिंह जी के बयान का कायदे से मनन किया जाये तो दो बातें सामने आती हैं। एक, हाँ मोदी विनाशकारी हैं, किन्तु देश के लिए नहीं कांग्रेस के लिए। जैसा विनाश कांग्रेस का इन विधानसभा चुनावों में हुआ है तो मनमोहन जी ही नहीं अपितु कांग्रेस और जनसामान्य यह मानता है कि मोदी ने वाकई कांग्रेस का इन राज्यों में विनाश कर दिया। दूसरी बात यदि मनमोहन जी से ही पूछा जाये कि विगत 60 वर्षों में जो देश का विनाश इस कांग्रेस के नेताओं ने किया है उसकी और ज्यादा दुगर्ति क्या मोदी तो क्या कोई अनपढ़ या गंवार व्यक्ति भी नहीं कर सकता। मनमोहन जी कैसे भूल गये कि चीन और पाकिस्तान से सीमा विवाद कांग्रेस की देन है। देश में लहलहाता हुआ भ्रष्टाचार कांग्रेस की गोद मे पला बढ़ा है। देश में लचर कानून व्यवस्था कांग्रेस की अकर्मण्य नीतियों की देन है। आज समाज को कानून का कोई भय नहीं रह गया है। बलात्कार, रिश्वतखोरी और आतंकवादी गतिविधियां कोई भी कहीं भी बेखौफ कर जाता । यदि श्री प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति न बनते तो ये कांग्रेस अफजल गुरू और अजमल कसाब को तब तक पालती जब तक उन्हें छुड़ाने के लिए कोई और विमान हाईजेक न हो जाता।
देश के अन्दर राज्य पानी और सीमाओं के लिए लड़ रहे हैं  और कांग्रेस बंग्लादेश को पानी और जमीन देने की बात करती है। अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री खुद रूपये के अवमूल्यन को रोक नहीं पाये ओर मोदी को विनाशकारी को मैडल दे रहे हैं।
सिर्फ और सिर्फ 2002 के गुजरात दंगों की लाश को अपने कन्धों पर ढोकर भाजपा और मोदी को निशाना बनाने वाली कांग्रेस इस बात से कैसे मूंद सकती है कि गुजरात दंगे सुनियोजित गोधरा काण्ड की प्रतिक्रिया न सिर्फ थे बल्कि अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति में कांग्रेस ने बहुसंख्यक हिन्दुओं को उन्ही के देश में राम को पूजने से रोक रखा है का परिणाम थे। अफसोस तो इस बात का है कि अदालत के निर्णय आने के बाद श्री मनमोहन सिंह ने अदालत की गरिमा को  ताक पर रख दिया। क्या गुजरात दंगों से पहले या बाद में भारत मंें कभी दंगे नहीं हुए, तो उन राज्यों के मुख्यमंत्री विनाशकारी क्यांे नहीं कहे गयंे। पिछले दो वर्षों में उत्तर प्रदेश में दंगे हुए, असम में दंगे हुए, किश्तवाड में दंगे हुए, क्यों यहाँ के मुख्यमंत्रियों  को मानवाधिकार आयोग, स्वयंसेवी संगठन और मीडिया कठघरे में खड़ा नहीं करता।
यदि एक गुजरात दंगों की वजह से मोदी विनाशकारी कहे जा सकते हैं तो कांग्रेस अपने लिए उपर्युक्त शब्द का चयन करें क्योंकि 1947 से अब तक भारत में 13000 से अधिक दंगों में 75000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। अपने सहयोगी सपा के लिए भी कोई शब्द चुनें जिसके वर्ष 2013 के शासन काल में ही उत्तरप्रदेश में 250 दंगे हुए जिसमें 95 लोगों की जान गई तथा 313 लोग घायल हुये। ये कोई मीडिया की रिपोर्ट नहीं है। बल्कि गृह राज्यमंत्री आइ0पी0एन0 सिंह का लोक सभा में बी0 मेहताब तथा अन्य सदस्यांे द्वारा पूछे गये सवाल का लिखित जवाब है।
मोदी को विनाशकारी कहने से पहले शर्म तो सिख होते हुए मनमोहन सिंह जी को आनी चाहिए कि वे उस कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जिसने 1984 में सिर्फ दिल्ली में 2733 सिख मारे गये, पूरे देश में जो सिखों के जानमाल का नुकसान हुआ उसका कोई आंकलन नही है, और वही कांग्रेस आज भी अपने रसूख से सज्जन कुमार और जगदीश टाईटलर को बचाने की कोशिश में लगी है। जब कांग्रेस की नेता मरीं, तब तो यह तर्क मान्य हो गया कि ‘‘जब भी बड़ा पेड़ गिरता है, तो हलचल तो होती ही है’’ वही तर्क गोधरा काण्ड के बाद गुजरात दंगों के लिए मान्य क्यों नहीं। गुजरात दंगे भी सुनियोजित गोधरा काण्ड की प्रतिक्रिया थे, और यह प्रतिक्रिया भी लम्बे समय से मुस्लिम तुष्टिकरण की उपज थी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद मनमोहन जी को या तो ईमानदारी से नरेन्द्र मोदी को विनाशकारी सम्बोधित नहीं करना चाहिए था या उन्हें 1977 में आपातकाल में संजयगांधी द्वारा दिल्ली मंे निजामुद्दीन इलाके में अल्पसंख्यकों के विरूद्ध चलाये गये बुलडोजर याद कर लेने चाहिए थे।
बहुत अफसोस होता है कि जब मुजफ्फरनगर या असम में दंगे होते हैं तो आप या आपके नुमाइन्दे पीड़ितों का हाल जानने के लिए व्यक्तिगत रूप से मुआयना करते हैं। हर तरीके से उन्हें मुआवजा  दिया जाता है। किन्तु जब किश्तवाड़ में वहाँ के स्थानीय विधायक सज्जाद अहमद किचलू की मौजूदगी में दंगें होते हैं तो आपकी या अन्य किसी सेक्यूलर पार्टी का एक भी सदस्य पीड़ितों को मुआवजा देना तो दूर, उनका हाल पूछने की जहमत भी नहीं उठाते। बल्कि दंगों में संलिप्त विधायको और मौलानाओं को क्लीन चिट देकर लालबत्ती दी जाती है। और तो और सपा के मुख्यमंत्री तो रचनात्मकता की इस हद तक जा रहें है कि दंगों के लिए जिम्मेदार भड़काऊ भाषण देने वालों मौलानाओं के मुकदमें वापिस लेने की संस्तुति कर रहें हैं। एक सम्प्रदाय को हर तरफ से तुष्ट करके समाज में विद्वेष के बीज बोने वाले ये कृत्य क्या आपको सृजनात्मक नजर आते हैं?
क्या किश्तवाड़ में मरने वाले वहाँ के अल्पसंख्यक हिन्दु इन्सान नहीं हैं, या असम में जिन स्थानीय हिन्दुओं की जमीनों पर आपका बंग्लादेश्ी मुस्लिम वोट बैंक कब्जा कर रहा है उनके मानवाधिकार नही है या मुजफ्फरनगर में हिन्दु लड़कियों की इज्जत इशरत जहाँ से कम है।
आज मोदी तथा कथित सेक्यूलरवादी पार्टियों कि आंख की किरकरी इसलिए बने क्योंकि एक तरफ उनके सुशासन में विपक्षी कोई खामी नहीं निकाल पा रहे और मोदी बहुसंख्यकों की प्रगतिशील भावनाओं के अनुरूप हैं तो वे किसी भी विपक्षी दल को विनाशकारी नहीं, विध्वंसकारी ही नजर आयेगें।
यह तो स्पष्ट है कि गुजरात दंगों के लेकर पहले कांग्रेस तथा अन्य दल भाजपा पर वार करते थे, लेकिन कांगें्रस का यही दुष्प्रचार मोदी के लिए वरदान बन गया। कांग्रेस तथा इसके सहयोगी दलों की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतियों ने बहुसंख्यक हिन्दुओं को यह याद दिला दिया कि पाकिस्तान में तो हिन्दुओं को मरना ही है लेकिन अपने देश में वे दोयम दर्जे के नागरिक होकर रह गये हैं। इसीधर्म के नाम पर कांग्रेस ने पहले देश बंटने दिया। फिर उन्हीं मुस्लिमों को इसी देश में रहने दिया जिनके लिए पाकिस्तान बना था और अब उन्हें अल्पसंख्यकों के नाम पर हर कदम पर अतिरिक्त सुविधा प्रदान करके समाज में ईर्ष्या और विद्वेष के विनाशकारी बीज कांग्रेस या इसके सहयोगी दल ही बो रहे हैं।
यह आप किसी एक समुदाय को पुरस्कृत और दूसरे को तिरस्कृत करेंगे तो स्वाभाविक है उसकी प्रतिक्रिया होगी और आपके इन्हीं कृत्यों से एक नहीं कई मोदी पैदा होगें।
मनमोहन जी यदि आपकी कांग्रेस ने ईमानदारी से 60 वर्षों से वोटबैंक और तुष्टिकरण की राजनीति से ऊपर उठकर शासन किया होता तो आज न आपको मोदी विनाशकारी लगते और ना ही भारत 127 भ्रष्ट देशों की फेहरिस्त में 91वें पायदान पर होता।

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