मीनाई , विमला और गुणादो ----यह ऑस्ट्रेलिया की तीन पहाड़ियों के नाम हैं। इन नामों से क्या लगता है ??? तथाकथित यूरेशिया मूल के आर्य वहां गए थे या ये भारतीय मूलनिवासियों के नाम हैं जो समय की धार के साथ बहते बहते, ऑस्ट्रेलिया पहुँच गए थे। है न अजब कहानी बिलकुल "अहिल्या" की तरह कि इन तीनो बहनो को भी इनके बाप ने पत्थर की शीला में तब्दील कर दिया था और इससे पहले कि वो इन्हे वापिस नारियों में बदलता उसकी मृत्यु हो गयी। बहरहाल चाहे ये कहानी आर्यों ने बनायीं या वहां के मूलनिवासियों ने लेकिन ऑस्ट्रेलिया में मूलनिवासी 200 साल बाद ( 1802 में ऑस्ट्रेलिया की खोज हुई थी ) मिल जुल कर विदेशियों के साथ समृद्ध जीवन बिता रहे हैं। और 150 सालों से भारत के मूलनिवासी आर्यों / विदेशियों को यूरेशिया भेजने का दिवास्वपन देख रहे है। क्यों ???
क्योंकि आर्यों ने वेदों और मनुस्मृति में लचीली और परिवर्तनीय वर्णव्यवस्था का प्रावधान किया था। लेकिन बाबा इस्लाम और बाइबल की वर्णव्यवस्था पढ़ना भूल गए। एक बार फिर संक्षेप में वेदो और मनुस्मृति में वर्णव्यवस्था की परिभाषा दोहरा देता हूँ, फिर बाइबिल की वर्णव्यवस्था को उद्घृत करता हूँ -----
शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम्। क्षत्रियाज्जातमेवं तु विद्या द्वैश्यात्तथैव च।----
अर्थात श्रेष्ठ -अश्रेष्ठ कर्मो के अनुसार शूद्र ब्राह्मण और ब्राह्मण शूद्र हो जाता है। जो ब्राह्मण ,क्षत्रिय वैश्य और शूद्र के गुणों वाला हो वह उसी वर्ण का हो जाता है।
मुसलामानों को वर्णव्यवस्था के बारे में भान ही नहीं है अधिकांश लोगों को, जो की निम्न हैं।
1.) अशराफ़ श्रेणी में मुसलमानों कि उच्च बिरादरियां—जैसे कि सय्यद, शेख़, मुग़ल, पठान और मल्लिक/मलिक आदि वर्गीकृत की गई हैं!
2.) अजलाफ़ श्रेणी में मुसलमानों ने अपनी तथाकथित ‘शूद्र / शुद्दर’ तबके की या वैश्यकर्म प्रधान जातियां वर्गीकृत की हैं जैसे – तेली, जुलाहे, राईन, धुनिये , रंगरेज इत्यादि शामिल की जा सकती हैं!
3.) अरज़ाल श्रेणी में तथाकथित रूप से “मुसलमानों के दलित” या “अतिशूद्र मुस्लिम जातियां” हैं जैसे कि मेहतर, भंगी, हलालखोर, बक्खो, कसाई, इत्यादि!
लेकिन बाइबिल में जैसी वर्णव्यवस्था लिपिबद्ध की गयी है, क्या कभी मनुस्मिृति को न पढ़ कर सुनी सुनाई बातों पर यकीन करके कोसने वालों और मुल्लों और ईसाईयों के हाथों में खेलने वालों ने पढ़ी है क्या कभी ???
हिंदी में बाइबिल के जिस अध्याय में इसका विवरण दिया गया है उसका नाम है "प्रवक्ता ग्रन्थ" और अंग्रेजी में इसे SIRACH कहते है। ( हिंदी और इंग्लिश बाइबिल में सूक्तियों के क्रम में थोड़ा सा अंतर है )
"प्रवक्ता ग्रन्थ" 38:25 --- अवकाश मिलने के कारण ही शास्त्री को प्रज्ञा Wisdom) प्राप्त होती है। जो काम धंधों में नहीं फँसा रहता वाही प्रज्ञ (knowledgeable) बन सकता है।
38:26 --- जो हल चलाता और घमंड से पैना माँजता है ,जो बैलों को जोतता है और उनके कामों में लगा रहता है, जो अपने साँड़ों की ही बात करता है उसे प्रज्ञा कैसे प्राप्त हो सकती है ?
38:28 ---- यही हाल प्रत्येक शिल्पकार और हर कारीगर का है जो दिन रात अपने काम में लगा रहता है .......
38:29 ----- यही हाल लोहार का है, जो अपनी निकाई के पास बैठ कर मन लगा कर लोहे का काम करता है ………………
38:32 ---- यही हाल कुम्हार का है ,जो अपने चाक के पास बैठ कर उसे अपने पैरों से घुमाता रहता है ..........
38 :36 इनके बिना कोई नगर नहीं बसाया जा सकता।
Now read the next points carefully ----
38 :37 --- इनके बिना न तो कोई रह सकता है और न कोई आ जा सकता है, किन्तु नगर परिषद में इनसे परामर्श नहीं लिया जायेगा। इन्हे सार्वजानिक सभाओं में प्रमुख स्थान नहीं दिया जायेगा।
38:38 --- ये न्यायधीश के आसान पर नहीं बैठेंगे। ये न तो संहिता के निर्णय समझते है और न ही शिक्षा एवं न्याय के क्षेत्र में योग देते हैं। शसकों में से इनमे से कोई नहीं।
38:39 --- किन्तु ये ईश्वर की सृष्टि बनाये रखते हैं। इनका काम ही इनकी प्रार्थना है।
इसी तरह से 39: 1 से 15 तक पढ़े लिखे वर्ग( भारतीय भाषा में ब्राह्मण ) के गुण एवं कर्म बताये गए हैं। उदहारण --
39 :1 ----- उस व्यक्ति की बात दूसरी है ,जो पूरा ध्यान लगा कर सर्वोच्च प्रभु की संहिता का मनन करता है ;जो प्राचीन कल के प्रज्ञा साहित्य का और नबियों के उद्गारों का अध्ययन करता है।
इसी प्रकार नौकरों को कैसे रखना चाहिए उसकी एक बानगी देखिये !
33:25 ---गधे के लिए चारा ,लाठी और बोझ; दास के लिए रोटी , दंड और परिश्रम।
33 :26--- नौकर को काम में लगाओ और तुम को आराम मिलेगा।
33:27 ----जुआ ( बैल के गले में डालने वाला)और लगाम गर्दन झुकाती है। कठोर परिश्रम नौकर को अनुसाशन में रखता है।
33 28 --- टेढ़े नौकर के लिए यंत्रणा और बेड़ियां। उसे काम में लगाओ, नहीं तो वो अलसी हो जायेगा।
बहुत से नवबौद्ध या छद्मनामधारी हिन्दू देवी देवताओं के फोटोशॉप करके अश्लील चित्र डाल रहे हैं और अश्लील टिप्पणियां कर रहे हैं उनके लिए बाइबिल के इसी अध्याय में लिखा है --
23:20 ---जो अश्लील बातचीत का आदी बन गया है, वो ज़िन्दगी भर सभ्य नहीं बनेगा।
वैसे जिनके लिए मैं यह पोस्ट लिख रहा हूँ ,पता नहीं वे इससे कोई सबक लेंगे भी या नहीं लेकिन बाइबिल ने उनके लिए भी लिखा है।
22:7 --- मूर्ख को शिक्षा देना फूटे घड़े के ठीकरे जोड़ने जैसा है।
22:8 अनसुनी बात करने वाले से बात करने वाले से बात करना गहरी नींद में सोने वाले को जगाने जैसा है। ---अन्त में वो पूछेगा ;"बात क्या है ??"
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