इस पोस्ट के भाग 1 में आपने पढ़ा कैसे इसे मिशनरी समाज सेवा की आड़ में धर्मपरिवर्तन करते है। अमरीका के बाहर इस समय ढाई लाख ईसाई मिशनरी काम कर रहे है , जिनका 1990 का बजट ही डेढ़ बिलियन डॉलर था। अब अपनी गतिविधियाँ चलने के लिए चर्च इतना पैसा लाये तो कहाँ से ??? आपने दारा सिंह द्वारा स्टेन की हत्या के बारे में तो पढ़ा, परन्तु आपने जो नहीं पढ़ा वे थे भारत के और विश्व भर के अखबार और इंटरनेट साइट्स और मिशनरी पत्रिकाएं। किसी ने अपनी कलम और छपाई मशीन की स्याही नहीं बचाई भारत के मुंह पर कालिख पोतने में कि --- पिछले 50 वर्षों में भारत में ईसाईयों के ऊपर किस तरह से अमानवीय ज़ुल्म किये जा रहे हैं।
#Religion_Today , के 30 नवम्बर 1998 के अंक ने छापा ----- कट्टर साम्प्रदायिक समूह चर्चों और ईसाईयों पर हमला कर रहे है, ईसाईयों की प्रार्थना सभाओं को तितर बितर किया जा रहा है , धर्मप्रवर्तकों को बुरी तरह से मारा जा रहा है। चर्चों में आग लगई जा रही है, और एक परम्परागत स्कूल पर इस लिए हमला किया गया क्योंकि वहां पर संस्कृत नहीं पढाई जा रही थी। सरकार जानबूझ कर कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। कार्यकर्त्ता अपने बचाव के लिए प्रभु से प्राथना कर रहे हैं। ईसाईयों को खोज खोज कर मारा जा रहा है , उन्हें रेजर के ब्लेड से काटा जा रहा है , चलती ट्रैन से धक्का दिया जा रहा है जिसमे 6 से 12 लोग प्रतिवर्ष शहीद हो रहे हैं।
इसी पत्रिका के अन्य पन्ने पर एक दूसरी कहानी लिखी हुई है। उत्तर भारत में जहाँ इतनी कठिनाइयां हैं वहाँ प्रवर्तकों के प्रयासों से सैकड़ों आदिवासी धर्मांतरण करके ईसाई बन गए।
उपरोक्त दोनों कहानियों को जोड़ कर कुछ निष्कर्ष निकाला आपने ????सीधा सीधा निष्कर्ष है -----
दान दीजिये। दान/ चंदा दीजिये क्योंकि भारत के लोग शैतान के हाथों में फंसे हुए हैं। दान दीजिये क्योंकि भारत के 100 करोड़ लोग, प्रभु को भक्त अर्पित करने के लिए एक स्वर्णिम अवसर प्रदान कर रहे है। दान दीजिये क्योंकि भारत में ईसाईयों को रेजर ब्लेड से काटा जा रहा है। तमाम झूठी मार्मिक कहानियां गढ़ी जातीं हैं, जिनका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है दुनिया भर में यह दिखने के लिए कि भारत में ईसाईयत जैसे सभ्य मज़हब की सख्त ज़रुरत है और इसके लिए पैसा चाहिए। जितना कहानी में दर्द होता है उसी अनुपात में चन्दा गिरेगा।
तमाम मिशनरी पत्रिकाएं और इंटरनेट साइट्स इस तरह की कहानियों से भरी पड़ी हैं, और इन कहानियों के मूल स्त्रोत होते हैं भारतीय अखबार जो चर्च के एक शीशा टूटने पर पूरा चर्च टूटने की खबर छाप देते हैं। लेकिन भारतीय अखबार नहीं छापते #AD_2000 जैसी इंटरनेट साइट पर छपे हुए वक्तव्यों को जिसमे "#Church_Growth_Research_Centre_in #Madras, के वसंतराज कहते हैं " मेरा विश्वास है कि भारत आज ग्लोबल चर्च के नक़्शे पर है " या पीटर वागनर जो की#United_Prayer_Mobilization_Network के कोऑर्डिनेटर है और इसी साइट पर कहते हैं ---- दुनिया के सारे देशों में धर्मप्रचार निवेश के हिसाब से भारत में धर्मप्रचार तथा धर्मांतरण के लिए सबसे अधिक क्षमता, सम्भावना,और सामर्थ्य है। यही वो जगह है जहाँ धर्मांतरण के लिए समय, ऊर्जा और उपलब्ध साधनों का निवेश करना चाहिए।
संस्थाओं के ऊपर संस्थाएं, लक्ष्य के ऊपर लक्ष्य , 200 लोगों के लिए समूह,50 भाषाओँ की कार्यप्रणाली ,50 शहरी और 200 भौगोलिक जिलों का चिन्हीकरण,पांच लाख गांवों और 300 शहरों में चर्च स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन सब लक्ष्यों को प्राप्त करने तमाम संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने #INDIA_MISSION_ASSOCIATION के साथ तारतम्य में काम करने की हामी भरी है और यह इंडिया मिशन एसोसिएशन , भारत के हर पिन कोड क्षेत्र में धर्मप्रचारकों नेटवर्किंग का काम करती है।
इसी साइट के अनुसार वर्ष 2000 में कोलकाता के 93 पिन कोड क्षेत्रों में से 63 क्षेत्रों में चर्च स्थापित कर दिए गए हैं और बाकि के बचे हुए 30 में भी बहुत जल्द चर्च स्थापित कर दिए जायेंगे। कोलकात्ता तो हिन्दू धर्म की एक शाखा मात्र है। AD 2000 में तय किया गया हिन्दू धर्म की जड़ें तब वाराणसी में हैं , और चोट तो यहीं होनी चाहिए। धर्म प्रवर्तक तैयार किये गए और एक साल बाद वाराणसी के आस पास के 60 गांवों में चर्च स्थापित कर दिए गए और 300 लोगों का धर्म परिवर्तन कर दिया गया।
(वर्तमान परिपेक्ष से हट कर एक पंक्ति --- इस्लाम के प्रचार और प्रसार के लिए अकेले सऊदी अरब की सरकार ही #डेढ़_लाख_बैरल तेल की कीमत जितना पैसा प्रतिमाह विश्व में#तब्लीग़ी ( धर्मांतरण ) गतिविधियों के लिए देता है।)
#Religion_Today , के 30 नवम्बर 1998 के अंक ने छापा ----- कट्टर साम्प्रदायिक समूह चर्चों और ईसाईयों पर हमला कर रहे है, ईसाईयों की प्रार्थना सभाओं को तितर बितर किया जा रहा है , धर्मप्रवर्तकों को बुरी तरह से मारा जा रहा है। चर्चों में आग लगई जा रही है, और एक परम्परागत स्कूल पर इस लिए हमला किया गया क्योंकि वहां पर संस्कृत नहीं पढाई जा रही थी। सरकार जानबूझ कर कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। कार्यकर्त्ता अपने बचाव के लिए प्रभु से प्राथना कर रहे हैं। ईसाईयों को खोज खोज कर मारा जा रहा है , उन्हें रेजर के ब्लेड से काटा जा रहा है , चलती ट्रैन से धक्का दिया जा रहा है जिसमे 6 से 12 लोग प्रतिवर्ष शहीद हो रहे हैं।
इसी पत्रिका के अन्य पन्ने पर एक दूसरी कहानी लिखी हुई है। उत्तर भारत में जहाँ इतनी कठिनाइयां हैं वहाँ प्रवर्तकों के प्रयासों से सैकड़ों आदिवासी धर्मांतरण करके ईसाई बन गए।
उपरोक्त दोनों कहानियों को जोड़ कर कुछ निष्कर्ष निकाला आपने ????सीधा सीधा निष्कर्ष है -----
दान दीजिये। दान/ चंदा दीजिये क्योंकि भारत के लोग शैतान के हाथों में फंसे हुए हैं। दान दीजिये क्योंकि भारत के 100 करोड़ लोग, प्रभु को भक्त अर्पित करने के लिए एक स्वर्णिम अवसर प्रदान कर रहे है। दान दीजिये क्योंकि भारत में ईसाईयों को रेजर ब्लेड से काटा जा रहा है। तमाम झूठी मार्मिक कहानियां गढ़ी जातीं हैं, जिनका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है दुनिया भर में यह दिखने के लिए कि भारत में ईसाईयत जैसे सभ्य मज़हब की सख्त ज़रुरत है और इसके लिए पैसा चाहिए। जितना कहानी में दर्द होता है उसी अनुपात में चन्दा गिरेगा।
तमाम मिशनरी पत्रिकाएं और इंटरनेट साइट्स इस तरह की कहानियों से भरी पड़ी हैं, और इन कहानियों के मूल स्त्रोत होते हैं भारतीय अखबार जो चर्च के एक शीशा टूटने पर पूरा चर्च टूटने की खबर छाप देते हैं। लेकिन भारतीय अखबार नहीं छापते #AD_2000 जैसी इंटरनेट साइट पर छपे हुए वक्तव्यों को जिसमे "#Church_Growth_Research_Centre_in #Madras, के वसंतराज कहते हैं " मेरा विश्वास है कि भारत आज ग्लोबल चर्च के नक़्शे पर है " या पीटर वागनर जो की#United_Prayer_Mobilization_Network के कोऑर्डिनेटर है और इसी साइट पर कहते हैं ---- दुनिया के सारे देशों में धर्मप्रचार निवेश के हिसाब से भारत में धर्मप्रचार तथा धर्मांतरण के लिए सबसे अधिक क्षमता, सम्भावना,और सामर्थ्य है। यही वो जगह है जहाँ धर्मांतरण के लिए समय, ऊर्जा और उपलब्ध साधनों का निवेश करना चाहिए।
संस्थाओं के ऊपर संस्थाएं, लक्ष्य के ऊपर लक्ष्य , 200 लोगों के लिए समूह,50 भाषाओँ की कार्यप्रणाली ,50 शहरी और 200 भौगोलिक जिलों का चिन्हीकरण,पांच लाख गांवों और 300 शहरों में चर्च स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन सब लक्ष्यों को प्राप्त करने तमाम संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने #INDIA_MISSION_ASSOCIATION के साथ तारतम्य में काम करने की हामी भरी है और यह इंडिया मिशन एसोसिएशन , भारत के हर पिन कोड क्षेत्र में धर्मप्रचारकों नेटवर्किंग का काम करती है।
इसी साइट के अनुसार वर्ष 2000 में कोलकाता के 93 पिन कोड क्षेत्रों में से 63 क्षेत्रों में चर्च स्थापित कर दिए गए हैं और बाकि के बचे हुए 30 में भी बहुत जल्द चर्च स्थापित कर दिए जायेंगे। कोलकात्ता तो हिन्दू धर्म की एक शाखा मात्र है। AD 2000 में तय किया गया हिन्दू धर्म की जड़ें तब वाराणसी में हैं , और चोट तो यहीं होनी चाहिए। धर्म प्रवर्तक तैयार किये गए और एक साल बाद वाराणसी के आस पास के 60 गांवों में चर्च स्थापित कर दिए गए और 300 लोगों का धर्म परिवर्तन कर दिया गया।
(वर्तमान परिपेक्ष से हट कर एक पंक्ति --- इस्लाम के प्रचार और प्रसार के लिए अकेले सऊदी अरब की सरकार ही #डेढ़_लाख_बैरल तेल की कीमत जितना पैसा प्रतिमाह विश्व में#तब्लीग़ी ( धर्मांतरण ) गतिविधियों के लिए देता है।)
क्रमशः ------
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