पिछले वर्ष जैसे ही रमज़ान का महीना शुरू हुआ , इस संग्रहालय से रमज़ान में सुबह की अज़ान और सेहरी की रस्म अदा होने लगी। यह परम्परा पिछले साल से नहीं 2012 से शुरू हो गयी थी। 2012 से 31 मई को यहाँ इस्लाम के अनुयायी बहुत बड़ी तादाद में इकट्ठे होते हैं और नमाज़ अदा करते हैं। वैसे तो यह लेख मैंने 29 मई के दिन लिखने के लिए सोचा था , लेकिन रमज़ान शुरू हो गए हैं और 29 मई कल है। 29 मई ही क्यों ?????
नीचे जो आपको पहली तस्वीर नज़र आ रही है , उसमे मरियम की गोद में ईसा मसीह हैं , और वर्तमान के इस संग्रहालय के अन्दर का एक दृश्य है। इसी संग्रहालय के अन्दर से रमज़ान के महीने में अजान होने लगी है , सहरी होने लगी है और इसी के अन्दर इस्तानबुल और तुर्की के मुसलामानों की ज़िद है कि वो नमाज़ पढ़ेंगे। वैसे इस ज़िद को अमली जामा पहनाने के लिए ,अक्टूबर 2013 में तुर्की की संसद में बिल भी पेश कर दिया गया जिसका मजमून इस प्रकार था कि ----
“This bill has been prepared aiming to open the Hagia Sophia – which is the symbol of the Conquest of Istanbul and which has been resounding with the sounds of the call to prayer for 481 years – as a mosque for prayers.”
इसका लगभग तर्जुमा कहता है --- कि इस बिल को पेश करने का लक्ष्य #हेगीआ_सोफिआ को खोलने के लिए है ----जो कि इस्तानबुल जीत की एक निशानी है और जो कि 481 वर्षों से नमाज़ की आवाज़ों से गूँज रही है ----एक मस्जिद नमाज़ के लिए।
अब इस पूरी कहानी का मजमून दो वाक्यों में समझ लीजिये। वर्ष 336 में इस्तानबुल में तत्कालीन शासक कोंस्टांटियस ने एक चर्च बनवाया था। वक़्त के थपेड़े खाते हुए कुछ बार गिरा फिर उठाया गया और 562 के आप पास वर्तमान शक्ल में तैयार किया गया। बस इसके बाहरी हिस्से में नज़र आने वाली मीनारें नहीं थीं। #29_मई_1453 को उस्मान वंश के तुर्क सुलतान मोहम्मद ने कोंस्टनटिनोप्ल / इस्तानबुल जीत लिया , फिर ईसाईयों के साथ वही किया जो ईरान के पारसियों के साथ 800 साल पहले किया था और इस चर्च को मस्जिद में तब्दील कर दिया। इसे मस्जिद की शक्ल देने के लिए चार मीनारें और हल्के फुल्के बदलाव कर दिए और होने लगी यहाँ पांच वक़्त की नमाज़ । 1931 में तुर्की के प्रगतिशील प्रधानमन्त्री अत तुर्क ने दोनों धर्मो के बीच सौहाद्र स्थापित करने के लिए इसे संग्रहालय में तब्दील कर दिया। 82 सालों के बाद शांतिप्रिय मज़हब के दिमाग में इसे फिर से मस्जिद बनाने का कीड़ा पैदा हो गया और उन्होंने संसद में बिल भी पेश कर दिया और जबरदस्ती अजान नमाज़ और सहरी का रिवाज़ भी शुरू कर दिया।
इन अरब के लुटेरों ने पहला अण्डा मक्का के नाम का वहां के कुरैश कबीले का चुराया था । फिर यहूदियों के सबसे पवित्र मन्दिर #अल_अक्सा पर कब्ज़ा जमाया। इसके बाद पारसियों के मंदिरों पर कब्ज़ा जमा कर कैसे उन्हें मस्जिदों में तब्दील किया यह मैं अपनी पिछली पोस्ट में लिख ही चुका हूँ। ये अंडा चोर अब तक मुर्गी चोर हो चुके थे ।
1528 में इन्ही के मज़हबी भाई ने हजारों मील दूर राम मंदिर तोड़ कर बाबरी मस्जिद बनवा दी थी। सोफ़िआं हेगीआ की तरह यहाँ के मुसलमान भी उस पर पूरा हक़ जता रहे हैं। दो दिन बाद ये तुर्की के सोफिया हेगीआ पर इक्कठे हो कर नमाज़ पढ़ कर उस पर अपना हक़ जताएंगे और भारत में 30 मई को बाबरी मस्जिद तोड़ने के सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है जिसमें राम मंदिर पर ये अपना नाज़ायज़ दावा बरकरार रखे हुए है। समय, स्थान और दलीलें अलग हो सकती हैं , लेकिन मकसद एक ही है कि जहाँ इनके पाँव पड़ गए वो जगह बस इनकी है।
वर्ष 710 में मोहम्मद बिन कासिम नाम का मुर्गी चोर भारत में आया था और फिर नालंदा का इतिहास सब जानते हैं। उसके बाद 28 नवम्बर 1001 को महमूद ग़ज़नवी के पहले आक्रमण से लेकर 1707 में औरंगज़ेब की मौत तक ये बीस हज़ार से चालीस हज़ार मंदिरों को तोड़ कर ये ऊँट चुराने वाले शातिर चोर हो गए। काशी विश्वनाथ मन्दिर के साथ ज्ञानवापी मस्जिद, कृष्ण जन्मभूमि से सटी हुई शाही मस्जिद , और सोमनाथ मन्दिर तोड़ कर बनायीं गयी मस्जिद ऊंट चोरी के ही विभिन्न प्रमाण पत्र है।
ईरान इराक इजराइल लेबनान तुर्की सायप्रस हंगरी मोरक्को अल्जीरिया नाइजीरिया लीबिया सोमालिया जर्मनी मलेशिया इंडोनेशिया पाकिस्तान अफगानिस्तान बांग्लादेश मिस्र कौन सा ऐसा देश है जहाँ इन्होने अण्डों से लेकर ऊँट तक नहीं चुराए हैं ????? और ऊपर से तुर्रा ये कि इनकी कुरान में लिखा है कि दूसरों के धर्मस्थलों में नमाज़ हराम है।
https://en.wikipedia.org/wiki/Conversion_of_non-Islamic_places_of_worship_into_mosques
https://en.wikipedia.org/wiki/Conversion_of_non-Islamic_places_of_worship_into_mosques
11 जनवरी 630 में मक्का के मन्दिर को मस्जिद बनाने से लेकर 2001 में अफगानिस्तान के बामियान में 50 मीटर ऊँची बुद्ध की मूर्ती तोड़ना इन अंडा चोरों के ऊंट चोरी में स्नातक होने की गवाही देता है।
इतने सब के बावजूद कुछ जड़बुद्धि सेक्युलर, रामजन्मभूमि की जगह भी अस्पताल , पार्क,स्कूल बनाने का सुझाव दे रहे थे। वैसे बच गए भारत वाले वर्ना ऊँट चोरों के दबाव में #रामजन्मभूमि का हाल भी #सोफिया_हेगीआ माफिक ही होता। अभी भी कुछ कह नहीं सकते क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के जज और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के हिन्दू वकील अभी अभी सेक्युलरता की बूटी पीकर सारे कायदे कानून हिन्दुओं के ऊपर ही अम्ल में लाते है अन्य मज़हबों की आस्था में खलल डालना वे संविधान के खिलाफ समझते हैं ।
बहुत सुंदर
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