शनिवार, 11 अप्रैल 2015

Presstitude ...... !!!!!!!

Presstitude ...... !!!!!!!

18  जनवरी 2015 को सीरिया में घुस कर इजराइल की वायुसेना ने 7 आतंकवादी संगठनो के कमांडरों और ईरान के एक लेफ्टिनेंट जनरल को मार दिया, उस देश की प्रेस ने इस घटना का ज़िक्र भी नहीं किया। 
10 मार्च 2015 को अमरीका के CNN न्यूज़ चैनल के येरूसलम और तेल अवीव में सारे कार्यालयों पर इसलिए बुलडोज़र चलवा दिए, क्योंकि CNN लगातार इजराइल के विरुद्ध एक पक्षीय ख़बरों का प्रसारण करता था। बाहर के देशो का मीडिया तो ज़रूर चिल्लाया पर वहां के मीडिया ने इसके खिलाफ एक आवाज़ नहीं उठाई। हाँ Presstitude, शब्द पर भारत के अधिकांश मीडिया में ऐसे मिर्चें लगीं जैसे तेल में मिला कर मिर्चें उनके  ……में डाल दी गयीं हों।भाई काणे को काणा ( एक आँख वाला) कहेंगे तो उसे ही बुरा लगेगा दोनों आँखों वाले को नहीं। मैंने इजराइल का ही नाम क्यों लिया ???? जानिए जरा !!!!

जो इतिहास भारत का है पूरा अक्षरश वही इतिहास इजराइल का भी है, भारत 1000 वर्ष तक गुलाम रहा , तो इजराइल भी रहा। यहाँ हिन्दू मारे गए, गुलाम बनाये गए वहां यहूदी मारे गए और गुलाम बनाये गए। 1947 में भारत आज़ाद  हुआ 1948 में इजराइल आज़ाद हुआ। इजराइल का कुल क्षेत्रफल 20770 sqkm है जो की दिल्ली और एनसीआर के 45887 sqkm के आधे से भी कम है।
भारत ने विश्व को ,सबसे प्राचीनतम हिन्दू धर्म के इलावा बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म दिया तो इजराइल ने विश्व को दूसरा प्राचीनतम यहूदी धर्म ,ईसाई धर्म ,बहाई धर्म दिया और इस्लाम ने भी इसके पड़ोस में ही जन्म लिया। ईसाई भारत में भी 2 % हैं और इजराइल में भी 2 % हैं। 
 भारत की ज़मीन की सीमायें 7 देशों से जुडी हैं और दो देशों से समुद्र के द्वारा जुडी है ,इजराइल 5 मुस्लिम देशों के साथ ज़मीनी सीमा साझा करता है वैसे 21 मुस्लिम देशों का संगठन उसके खिलाफ कार्यवाही में एक साथ होता हैं। 
आज़ादी के पश्चात तमाम हिन्दू शरणार्थी पाकिस्तान से भारत आये और इजराइल में आज़ादी के बाद पूरी दुनिया से शरणार्थियों ने इजराइल में शरण ली । 
1940 के दशक में हिन्दुओं का भी बहुत खून खराबा हुआ (खास तौर पर नौआखाली और विभाजन के दौरान)और यहूदियों का भी ( नाज़ी कैम्पों में )। 
भारत के विभाजन के लिए अनुमति देने वाला गांधी भी मारा गया और फिलिस्तीन को ज़मीन देने के लिए तैयार होने वाला Yitzhak Rabin भी गोलियों का शिकार हुआ। 
आज़ादी के एकदम बाद पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया ,तो उधर आज़ादी के मात्र 6 दिन बाद ही 21 मुस्लिम देशों ने मिल कर इजराइल पर हमला किया। 
1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया उधर 1967 में मुस्लिम देशों ने मिल कर इजराइल पर हमला किया। इस युद्ध के एक वर्ष के पश्चात भारत ने पहली महिला प्रधानमंत्री को चुना और उधर युद्ध के एक लगभग एक वर्ष के पश्चात इजराइल ने गोल्डा मायर के रूप में पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी। 
इधर पाकिस्तान लगातार सीमा और देश के अन्दर आतंकवादी गतिविधियाँ चलता है और उधर फिलिस्तीन लगातार हरकतें करता है। 
भारत के खिलाफ पाकिस्तान लगातार षड्यंत्र करता है और उधर दुनिया भर के 160 करोड़ मुसलमान कहते हैं की यदि सब मुसलमान मिलकर एक एक बाल्टी पानी इजराइल पर डाल दें तो इजराइल दुनिया के नक़्शे से धुल जायेगा। सही कहते है , यदि एक बाल्टी 20 लीटर की मान ली जाये तो 3200 करोड़ लीटर पानी भारत के सबसे बड़े डैम भाखरा नंगल से कई सौ गुना ज्यादा पानी होता है, जो की इजराइल जैसे 20-25 देश दुनिया के नक़्शे से धो सकता है । पर वे ऐसा कर नहीं पाते। पता है क्यों ????

क्योंकि न तो वे अपना दर्द भरा इतिहास भूले , न उन्होंने वो इतिहास अपने बच्चों को इस डर से पढ़ाना बंद किया कि मुस्लिम नाराज़ हो जायेंगे और सबसे अहम बात है की उनमे स्वाभिमान है और वे अपने देश, धर्म ,संस्किृति और सभ्यता को हीन भावना नहीं गर्व की नज़र से देखते हैं। 
 भारत और इजराइल के नेताओं  जनता और मीडिया की सोच में बस इतना सा फर्क है की उसे अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व है ,और सिर्फ यहूदी ही नहीं ,हिन्दू कमीनस्तों ( कम्युनिस्ट्स) को छोड़ कर हर धर्मपरायण व्यक्ति अपने धर्मऔर संस्कृति पर गर्व करता है। क्योंकि उनमे वो स्वाभिमान है जो हिन्दुओं में मार दिया गया है। भारतीय सन्दर्भ में धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा अब वृहद मानसिकता का परिचायक नहीं बल्कि अल्पसंख्यंकों के तुष्टिकरण के कटघरे में खड़ी है, क्योंकि उपरोक्त लोग वो जाहिल हैं, जो इतिहास से सबक न लेकर उसे कहीं अधिक कीमत चुका कर दोहराने में यकीं रखते हैं । जहाँ धार्मिक असहिषुणता के नाम पर यहूदी सर उठा कर जीते हैं वहीँ वृहद मानसिकता का परिचय कश्मीरी हिन्दुओं और यज़ीदियों ने दिया और उसकी कीमत चुका रहे है।  उसी लीक पर न सिर्फ तुम लोग चल रहे हो बल्कि पूरे समाज को वध के रस्ते पर धकेल रहे हो। 
हमारे भारत में ही बहुत से लोग इजराइल का विरोध इसलिए करते है क्योंकि उनका मानना है की इजराइल पूरी दुनिया पर किसी "इल्लुमिनाति" सोच, दूरदर्शी योजना या इल्लुमिनाति सम्प्रदाय के द्वारा राज करना चाहता है। बिलकुल हो सकता है, लेकिन इसमें भी हमारे लिए शर्म की ही बात है की वो 82 लाख 96 हज़ार लोग दुनिया पर राज करने  का ख्वाब देखते हैं और यहाँ पर 82 करोड़ हिन्दू अपने ही देश पर राज करने में सक्षम नहीं हैं।  

इसीलिए जब बात अपने धर्म और स्वाभिमान की आती है तो इजराइल पूरी दुनिया को जूते की नोक पर रखता है, और इजराइल में विदेशी पैसों से चलने वाले मीडिया नाम के कोठों पर डंके की चोट पर बुलडोज़र चलवा देता है। 




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