रविवार, 2 अक्टूबर 2016

33 साल पहले की मेरी सोच

1980 के दशक में दूरदर्शन पर दो सीरियल आते थे, जो आज की पीढ़ी को मालूम नहीं होंगे  --- 1) मानो या न मानो और 2) ऐसा भी होता है। 

उसी का सीक्वल आज मैं आपके सामने रख रहा हूँ, मानो या न मानो ------
बात आज से 33 साल पहले 1983  की है जब मैं 11वीं का छात्र हुआ करता था। बहुत ख्वाब देखता था और जब मुफ्त के ख्वाब खाता तो प्रधानमंत्री बनने से नीचे के नहीं खाता। देश को कैसे सुधारा जाये उसके लिए बहुत योजनाएं बनाया करता था। 
कुछ महीने पहले घर की साफ़ सफाई में बचपन की वो डायरी मिल गयी जिसमें मैं अपनी योजनाएं लिखा करता था। संकोच और आत्म प्रशंसा न कहलाये इसलिए उसे फिर से ठन्डे बास्ते में डाल दिया। लेकिन देश के वर्तमान हालात को देख कर लगता है कि देश में आज सब कुछ वही हो रहा है या होना चाहिए जो मैंने 36 साल पहले सोचा था। आइये आपको अपनी बचपन की सोच से वाकिफ करवाऊं। पन्नेवार  एक एक पृष्ट का तर्जुमा आपके सामने लिख रहा हूँ ---

1) नेत्रदान अनिवार्य कर देना चाहिए। 
2) सभी सांसदों और विधायकों को यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा आयोजित परीक्षा पास करनी अनिवार्य हो तथा नामांकन से पूर्व वे अपनी चल और अचल संपत्ति की घोषणा करें। 
3 ) सभी प्रकार की हड़तालों और बंधों पर प्रतिबन्ध लग्न चाहिए। 
4) 4-5 सार्वजानिक अवकाश कम किये जाने चाहिए। 
5 ) अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की better Spot Purchase होनी चाहिए। 
6) NRI के लिए व्यावहारिक औद्योगिक नीतियां होनी चाहियें। 



पृष्ट -2 
7) सभी आतंकवादी संगठनों पर पूर्ण प्रतिबन्ध होना चाहिये। दंगों और आगजनी में लिप्त दोषियों को तुरंत मौत की सजा होनी चाहिए। ( उस समय पंजाब में आतंकवाद चरम पर था)
8) भ्रष्ट एवं लापरवाह अधिकारियों को 20 सालों के जेल में डाल देना चाहिए। 
9 ) इजराइल और विएतनाम से मित्रता करनी चाहिए। 
10 ) सर्कस वालों की मदद की जानी चाहिए। 
11 ) आरक्षण का आधार अनुसूचित जातियाँ और जनजाति न हो कर आर्थिक रूप से पिछड़े तथा विकलांगों के लिए होना चाहिए। 
पृष्ट -3 
12) हर उद्योग को अपने उत्पादों में हर छह माह में कुछ सुधार दिखाना होगा। ( आज हम चीनी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में नहीं हैं) . 
13 ) सारे स्विस एकाउंट्स या तो भारत में ट्रांसफर कर दिए जाएँ या उन्हें जब्त कर लिया जाये। 
14) नदियाँ को स्वच्छ किया जाये। 
15 ) जिसके पास भी मादक पदार्थ पाए जाएँ उसे तुरंत फांसी दे दी जाये। 
16) दुल्हनों को जलाने वालों जो भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जिम्मेदार हों , यदि सरकारी नौकरी में हों तो उनकी नौकरी ख़त्म कर देनी चाहिए यदि व्यवसाय हो तो उसे जब्त कर लेना चाहिए और कम से कम 7 वर्षों के लिए जेल की सज़ा होनी चाहिए। 
17) महिलाओं को देह व्यापार में धकेलने वालों को सजाये मौत मिलनी चाहिए। 












पृष्ट --4 
18) व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त लोगों को देश से बाहर जा कर नौकरी करने की इज़ाज़त न हो। 
19) व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण ( IIT, C.A ,M.B.B.S ) को सिविल सर्विसेज में जाने की इज़ाज़त न हो। 
20) अपने क्षेत्रों में पेड़ लगाने की ज़िम्मेदारी ग्राम पंचायतों की तय की जाये। 
21) प्री नर्सरी और पांचवी तक और उसके पश्चात् हिंदी अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाये। 
22) प्राथमिकता के आधार पर जहाँ भी संभव हो जलविद्युत परियोजनाएं बनायीं जाएँ। ( आज चीन ब्रह्मपुत्र पर कर रहा है और हमें सिंधु पर बांध बनाने की ज़रुरत महसूस हो रही है )
23) हर वैज्ञानिक खोज को भव्य तरीके से पुरुस्कृत किया जाये। 
24) हर गांव में स्कूल और अस्पताल हो। 

#मानो_या_न_मानो ये मेरे बचपन की तब की सोच है जब मैं न तो शरीयत/इस्लाम  के विषय में जानता था न मूलनिवासी के कांसेप्ट से वाकिफ था। निवेदन है इसे मेरी आत्मप्रशंसा न समझ कर बस बचपन की यादें समझ कर इन पर हँसियेगा नहीँ। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें