सुप्रभात ---- निःसंदेह आपकी भावनाएं बहुत उत्तम हैं जो आप सुबह 6 बजे पहला काम अपने मित्रों को सुप्रभात कहते हैं।
शुभरात्रि ----- वाकई आज भूकम्प या तनाव के समय में आपकी यह भावना भी बहुत उत्तम है कि आप रात के 12.00 बजे अपने मित्रो को शुभरात्रि कहते हैं।
अपने मित्रों को ही कहते हैं न, कभी अपने आप के लिए आपने सुप्रभात कहने का समय निकाला क्या ?????
या अपनी रात्रि को 10 बजे सो कर शुभ क्यों नहीं करते ????
वैसे आपकी व्यक्तिगत ज़िन्दगी में दखल देना का न मेरा कोई अधिकार है और न ही कोई मंशा है। फिर भी सोचा कि आप के साथ कुछ तथय साझा कर लिए जाएँ।
क्या आप जानते हैं कि 1971 में भारत में डायबिटीस 1.2% लोगों को थी जो कि वर्ष 2000 में 12.1% , यानि कि 10 गुना बढ़ गयी ???
क्या आप जानते हैं कि वर्ष 2013 में 20-79 वर्ष के बीच की आयु वाले 6 करोड़ 20 लाख लोगों को भारत में डायबिटीस है ,जो कि 2030 में 10 करोड़ लोगों में होगी ???
क्या आप जानते हैं कि 2013 के एक शोध के अनुसार भारत में लगभग 8 करोड़ लोगों को प्री डायबिटीज है ???
क्या आप जानते हैं कि भारत में वर्ष 2010 में 10 लाख लोगों की मौत डायबिटीस से हुई थी ???
क्या आप जानते हैं कि भारत में 20 % लोगों को कोई एक पुरानी ( Chronic ) बीमारी है और 10 % लोगों को एक से ज्यादा पुरानी बीमारी है ???
क्या आप जानते हैं कि भारत में 30-59 वर्ष की आयु में दिल की बीमारी से से मरने वालों की संख्या अमरीका में इसी आयु वर्ग में मरने वालों से दुगनी है ???
क्या आप जानते हैं कि भारत के युवाओं में डायबिटीस पश्चिमी देशों के मुकाबले 10-20 वर्ष पहले शुरू हो जाती है ??? और
क्या आप जानते हैं कि डायबिटीस से दिल का और पड़ने का खतरा दुगना हो जाता है, स्नायु तंत्र पर विपरीत असर होता है, दृष्टिदोष उत्पन्न हो सकता है, किडनी ख़राब हो सकती हैं ???
यदि आप के किसी जानने वाले को डायबिटीस है तो दवा बनाने वाली कम्पनी आपको मन ही मन धन्यवाद करती होगी क्योंकि 2013 की एक रिपोर्ट के अनुसार 2280 करोड़ की दवा सिर्फ एक वर्ष में डायबिटीस के रोगियों ने खरीदी थी।
इस बीमारी के अनुवांशिक कारण के इलावा बेतरतीब, भागदौड़ वाला,सिगरेट और शराब वाली तनावयुक्त जीवन शैली है। जिसमे न जागने का कोई समय है और न ही सोने का। और जो समय सुबह अपने शरीर को दे कर कुछ व्यायाम करके सुप्रभात कहने का है उसे हम शुरू करते हैं फेसबुक से और ख़त्म करते हैं फेसबुक पर। ध्यान रखिये -------
बड़े भाग मानुष तनु पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथिन्ह गवा।।
साधन धाम मोच्छ कर द्वारा। पाइ न जेहिं परलोक सँवारा।।
बड़े भाग्य से यह मनुष्य शरीर मिला है। सब ग्रंथों ने यही कहा है कि यह शरीर देवताओं को भी दुर्लभ है (कठिनता से मिलता है)। यह साधन का धाम और मोक्ष् का दरवाज़ा है। इसे पा कर भी जिसने परलोक न बना लिया,
एही तन कर फल बिषय न भाई। स्वर्गउ स्वल्प अंत दुखदाई।।
नर तनु पाइ बिषयँ मन देहीं। पलटि सुधा ते सठ बिष लेंही।।
अर्थात--- हे भाई !इस शरीर के प्राप्त होने का फल विषयभोग नहीं है, स्वर भी बहुत थोड़ा है और अंत में दुःख देने वाला है (इस जगत के भोगों की तो बात ही क्या) । अतः जो लोग मनुष्य शरीर पाकर विषयों में मन लगा देते हैं ,वे मूर्ख अमृत को बदल कर विष ले लेते है।
जौं परलोक इन्हे सुख चहहु। सुन मम बचन ह्रदय दृण गहहू।।
सुलभ सुखद मारग यह भाई। भगति मोरी पुरान श्रुति गाई।।
अर्थात --- यदि परलोक में और यहाँ दोनों जगह सुख चाहते हो, तो मेरे वचन सुनकर उन्हें (भगवान को) ह्रदय में दृणता से पकड़ रखो। हे भाई !यह भक्ति का मार्ग सुलभ और सुखदायक है, पुराणों ने और वेदों ने इसे गाया है।
दो गिलास पानी, थोड़ा सा व्यायाम ,कुछ प्रभु का नाम …………………………
यदि अयोध्या ,काशी, मथुरा बनाना है तो पहले खुद बनिए ऊर्जावान, जब शरीर में होंगे प्राण तभी मुँह से निकलेगा ------- जय श्री राम।
क्या निकलेगा मुंह से ??????
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