गरीब की बीवी गांव भर की भाभी होती है और अमीर की बीवी गांव भर की बहन।
एक ही देश भारत , एक ही शहर कोलकाता , एक ही जुर्म बलात्कार, 13 मार्च को किया गया बेलूर मठ की साध्वी का और 14 मार्च को किया गया नाडिया जिले की एक ईसाई नन का। ऐसा क्या है हम भारतियों में, तमाम अन्य धर्मो के अनुयायियों में मीडिया की मानसिकता में कि एक के बलात्कार पर पूरा मीडिया और देश और ईसाई उस बलात्कार के दर्द से कराह उठता है और दूसरे बलात्कार में उसके मुंह से उफ्फ भी नहीं निकलता।
एक देश भारत, दो राज्य, एक ही वर्ष के दो सटे हुए महीने,दो साम्प्रदायिक दंगे। जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में अगस्त 2013 में सत्ताधारी विधायक और गृहमंत्री सज्जाद अहमद किचलू के नेतृत्व में पूर्वनियोजित दंगे जिसमे 1000 से ज्यादा हिन्दुओं की दुकानें जला दी गयीं ने अखबारों के बड़े से मुहं में छोटी से जुबान पायी और वहीँ ,सितम्बर 13 के मुज़्ज़फरनगर दंगे जो की हिन्दू लड़की के बलात्कार के बाद उसके भाईयों के टुकड़े किये जाने आर पुलिस की निष्क्रियता की दें थे महीनों तक मीडिया, संसद और विधानसभा की सुर्खिया बटोरते रहे।
जहाँ गोधरा जनित गुजरात दंगे तो 12 साल तक सुर्खियां बटोरते हैं वहीँ बंग्लादेशियों द्वारा जनित असम दंगे, दंगों के साथ ही अपनी मौत मर जाते हैं।
आरएसएस द्वारा घर वापसी पर पूरा देश सूखे पत्ते की तरह कांपने लगता है, केरल और पूर्वोत्त्तर राज्यों में धर्मांतरण की चल रही बयार से एक तिनका भी नहीं हिलता । जबकि केरल सरकार ने बीस लाख हिन्दुओं के ईसाइयत/ इस्लाम में धर्मांतरण की बात स्वीकारते हुए, अपने बजट में धर्मान्तरित लोगों की स्थिति का जायज़ा लेने के लिए पांच करोड़ का प्रावधान किया है। वहीँ मध्यप्रदेश में 2000 हिन्दुओं की घर वापसी अखबारों की मुख्य खबर बन गयी। ईसाई स्कूलों में फ्री में बाइबिल बांटने की खबर नहीं बनती, मदरसों में हदीस पढने की खबर नहीं बनती लेकिन स्कूलों में गीता पढने के ज़िक्र भर से बहस छिड़ जाती है।
नवम्बर-14 में साक्षी महाराज के चार बच्चे पैदा करने का बयान ( वैसे व्यक्तिगत रूप से मैं भी उससे सहमत नहीं हूँ ) बहुत विवाद पैदा कर देता है लेकिन दक्षिण भारत में सायरो मालाबार चर्च ईसाईयों द्वारा हर पांचवें बच्चे के पैदा होने दस हजार रुपये देने की घोषणा कोई सुर्खियां नहीं बटोरती।
असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा यदि एक प्रतिकार की आवाज़ बनते हैं हैं तो उग्रवादियों की तरह जेलों में प्रताड़ित किये जाते हैं लेकिन बंगाल के बर्दवान जिले में मौत का सामन बनाने वाले और कश्मीर के मसर्रत आलम खुले घूम रहे रहे हैं।
वृन्दावन के एक मंदिर में तोड़फोड़ कर 150 वर्ष पुरानी अष्टधातु की मूर्तियाँ चोरी हो जाती हैं ,पद्मनभमन्दिर से 266 किलो सोना चोरी हो जाता है ,तिरुपति मंदिर से 12000 करोड़ के गहने चोरी हो जाते हैं, बालटाल में लंगरों में तोड़फोड़होती है ,श्रीनगर के शंकराचार्य मंदिर का नाम तख्ते सुलैमान हो जाता है गोवा के मंदिरों में तोड़फोड़ होती है कश्मीर में ही प्राचीन शीतला माता का मंदिर तोड़ कर वहां नमाज़ अदा की जाती है ,कोई खबर नहीं बनती लेकिन दिल्ली के एक चर्च टूटने से पूरी संसद हिल जाती है।
सऊदी अरब में इस्लाम की और पैगमबर से सम्बंधित सबसे पहली , सबसे पुरानी और ऐतिहासिक मस्जिदे वहां की सरकार खुद तोड़ देती है, न भारत का मीडिया चिल्लाता है और न ही भारत के मुसलामानों का मज़हब खतरे में पड़ता है ,http://www.independent.co.uk/ news/world/middle-east/medina- saudis-take-a-bulldozer-to- islams-history-8228795.html
लेकिन, लुटेरे मीर बाकी और औरंगज़ेब के हम कभी गुलाम थे शायद यही याद दिलाने के बाबरी मस्जिद का टूटना तो अज़ीमे गुनाह हो गया और हवा इतनी उलटी चला दी की काशी और मथुरा का नाम लेना भी गुनाह हो गया है।
BBC और विदेशी मीडिया ने निर्भया के बलात्कार का सहारा लेकर भारत को तो बलात्कारियों का देश बता दिया लेकिन यह बटन भूल गया कि इंग्लॅण्ड में हर 6 मिनट में और अमरीका में हर 25 सेकंड में एक बलात्कार होता है।
क्यों कर रहा है भारतीय मीडिया और विदेशी मीडिया ऐसे और कैसे कर रहा है ????? नीचे एक लिंक दे रहा हूँ , यदि वो सही है तो आप लोग खुद समझ जायेंगे कि ईसाई चर्च कैसे पैसा झोंक रहे हैं भारत में और इस मीडिया को ईसाईयों की चोट भर से भी दर्द क्यों होता है और हिन्दुओं की मौत पर अफ़सोस भी क्यों नहीं होता है। इस लिंक में CNN IBN के परिपेक्षय में दी गयी जानकारी को थोड़ा सा बदल लें, क्यूंकि पिछले वर्ष मई -14 मुकेश अम्बानी ने इस ग्रुप को खरीद लिया है और राजदीप सरदेसाई ने इंडिया टुडे ग्रुप ज्वाइन कर लिया है।
और जो हिन्दू ही अतिअहं में हिन्दुओं को चुनौती देते हैं की तुम क्या कर रहे हो ??? उनके लिए भी नीचे लिंक दे रहा हूँ , कि जब सऊदी अरब दो लाख बैरल तेल के बराबर रुपये प्रतिदिन इस्लाम के विस्तार के लिए खर्च कर रहा है उनके सामने क्या हम दो लाख पैसे यानि कि बीस हज़ार रुपये प्रतिदिन भी अपने धर्म की रक्षा के लिए खर्च कर पाने की स्थिति में हैं ???
सही है गरीब की बीवी गांव भर की भाभी होती है और अमीर की बीवी गांव भर की बहन।
आज का भारत पैसे से नहीं नैतिक मूल्यों से दिवालिया/गरीब होता नज़र आ रहा है,जहाँ लोग दो स्त्रियों की अस्मिता की अलग अलग कीमत लगा रहे है, यकीन मानिये वे थाईलैंड के यौन बाजार से अपनी मानसिकता विकृत करके आये है ,जहाँ अलग अलग देशों की महिलाओं की अलग अलग कीमत लगायी जाती है वर्ना सामूहिक बलात्कार तो साध्वी का भी हुआ है और चीख किसी की सुनाई नहीं दी।
विवेक मिश्र
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