अन्ना , आप की जन्म तिथि है 14 जून 1937 , और धीरूभाई अम्बानी की जन्मतिथि है 28 दिसम्बर 1932 . आप कक्षा आठ पास और वो कक्षा 10 पास। आपने देश सेवा सोची और 1960 में सेना में वाहन चालक हो गए, और अम्बानी साहब ने अपनी सोची और यमन में 1950 में पेट्रोल पम्प पर जा कर वाहनो में पेट्रोल भरना शुरू कर दिया। दोनों ने ही अपनी उम्र के लगभग 18वें वर्ष में अपना कैरियर शुरू किया। 1965 में आपने सीमा पर पाकिस्तान से जंग में भाग लिया और 1966 में धीरूभाई ने "रिलायंस इंडस्ट्री " की नींव रखी।
अब आप से 98 वर्ष पहले 3 मार्च 1839 में, एक पारसी पुजारी के घर में पैदा हुए जमशेद जी टाटा का उदाहरण ले लें, जिन्होंने अपनी उम्र के 20वें वर्ष में नाम मात्र पूंजी के साथ कारोबार की दुनिया में कदम रखा ,या उदाहरण ले लें घनश्याम जी दास बिड़ला की जिन्होंने बहुत थोड़ी सी पूंजी के साथ कारोबार शुरू किया या सबसे ताज़ातरीन उदहारण "इनफ़ोसिस" के नारायण मूर्ती का ले लें जिन्होंने मात्र दस हज़ार रुपये से 1981 में कारोबार शुरू किया और उपरोक्त घरानों की तरह आज मल्टिनैशनल कंपनी है। ये मैंने कुछ चुनिंदा उदहारण दिए है, जिन्होंने बहुत सीमित संसाधनो लेकिन स्पष्ट सोच से अपना कारोबार शुरू किया था।
मैं आपके धरनों से यह नहीं समझ पा रहा हूँ कि आपकी लड़ाई सरकार से है या इन घरानों की तरक्की से है??? आपने 1975 में सेवानिवृत्ति के बाद अपने आप को रालेगाओं सिद्धि में समेट दिया और ये घराने फर्श से लेकर अर्श तक पहुँच गए। यदि आपका विरोध इन घरानों के प्रति है तो में यही कहूँगा की ,फर्क सिर्फ सोच का है। आपने एक गांव को तब्दील करना चाहा और इन्होने पूरे भारत को तब्दील किया है। भारत का कौन सा गांव ऐसा है जहाँ टाटा का नमक ,रिलायंस और बिड़ला का कपडा बेचने से किसी एक को रोज़गार नहीं मिलता। कौन सा ऐसा शहर है जहाँ इन घरानों ने कम से कम 100 परिवारों को नौकरी नहीं दी है।
अब आप से 98 वर्ष पहले 3 मार्च 1839 में, एक पारसी पुजारी के घर में पैदा हुए जमशेद जी टाटा का उदाहरण ले लें, जिन्होंने अपनी उम्र के 20वें वर्ष में नाम मात्र पूंजी के साथ कारोबार की दुनिया में कदम रखा ,या उदाहरण ले लें घनश्याम जी दास बिड़ला की जिन्होंने बहुत थोड़ी सी पूंजी के साथ कारोबार शुरू किया या सबसे ताज़ातरीन उदहारण "इनफ़ोसिस" के नारायण मूर्ती का ले लें जिन्होंने मात्र दस हज़ार रुपये से 1981 में कारोबार शुरू किया और उपरोक्त घरानों की तरह आज मल्टिनैशनल कंपनी है। ये मैंने कुछ चुनिंदा उदहारण दिए है, जिन्होंने बहुत सीमित संसाधनो लेकिन स्पष्ट सोच से अपना कारोबार शुरू किया था।
मैं आपके धरनों से यह नहीं समझ पा रहा हूँ कि आपकी लड़ाई सरकार से है या इन घरानों की तरक्की से है??? आपने 1975 में सेवानिवृत्ति के बाद अपने आप को रालेगाओं सिद्धि में समेट दिया और ये घराने फर्श से लेकर अर्श तक पहुँच गए। यदि आपका विरोध इन घरानों के प्रति है तो में यही कहूँगा की ,फर्क सिर्फ सोच का है। आपने एक गांव को तब्दील करना चाहा और इन्होने पूरे भारत को तब्दील किया है। भारत का कौन सा गांव ऐसा है जहाँ टाटा का नमक ,रिलायंस और बिड़ला का कपडा बेचने से किसी एक को रोज़गार नहीं मिलता। कौन सा ऐसा शहर है जहाँ इन घरानों ने कम से कम 100 परिवारों को नौकरी नहीं दी है।
आप जैसे लोगों के धरनो से ही वेदांता इंडस्ट्रीज , 11000 करोड़ की रिफायनरी ,नियमगिरि उड़ीसा में खर्च करने के बाद भी वापिस चली गयी , जिससे वहां के हज़ारों लोगों को रोज़गार मिला था और सैकड़ों को मिलना था। और तो और उस रिफाइनरी के लगने से पूरी दुनिया में अल्मुनियम के दाम आधे रह जाते और भारत का विदेशी मुद्रा कोष भर जाता। आप जैसे ही लोगों की वजह से टाटा को सिंगूर से अपना नैनो कार का कारखाना हटाना पड़ा , तो क्या दूसरे राज्य में लगा नहीं ??? हाँ, आपकी बहिन ममता के राज्य के पिछड़े हुए लोग बेरोज़गार ही रह गए। आप पूना के पास के है , वहीँ का उदाहरण देता हूँ, शहर के चारों तरफ प्राइवेट यूनिवर्सिटीज का मकड़ जाल बिछा है, शॉपिंग मॉल बने हैं, क्या किसानों ने वो ज़मीन बेचीं नहीं ??? हर शहर के आसपास ऐसा हो रहा है तो आपको यह समस्या अभी ही क्यों नज़र आई ??? 1894 का जो भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में कांग्रेस बदल गयी है , उसमे 13 ऐसे Clause हैं, 70-80% किसानों की सहमति को मिला कर जिनसे न सिर्फ प्रोजेक्ट शुरू करने में बहुत विलम्ब होगा और यह भी ज़रूरी नहीं की प्रोजेक्ट शुरू ही हो पाये। आज की तारीख में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में आप चीन से वैसे ही 25 साल पीछे हैं, और यह भी चाहते हैं की भारत विदेशी ताकतों से स्पर्धा करे।
आपको यदि सरकार के खिलाफ ही धरना देना है तो, 25 सालों से अपने ही देश में शरणार्थियों की ज़िन्दगी बिता रहे 4.50 lakh कश्मीरी पंडित आपको क्यों नज़र नहीं आते ??? क्यों आपको बांग्लादेशी अतिक्रमणकारी असम और बंगाल में नज़र नहीं आ रहे ??? आपको पाकिस्तानियों द्वारा भारतीय सेना के सिपाहियों का सर काटने जैसी घटनाएँ और उस पर कड़ी कार्यवाही ,धरना देने का जायज़ कारण क्यों नहीं लगतीं ????? संविधान में सामान नागरिकता का अनुचछेद है फिर आरक्षषण के नाम पर समाज बंटता हुआ कैसे देख रहे आप ??? खुल्लम खुल्ला मुस्लिम तुष्टिकरण हो रहा है वो आपके चश्मे से नज़र क्यों नहीं आ रहा ???आप हिन्दू हैं, भारत में गायें काट रही हैं, और उनको काटने के कारखाने लगाये जा रहे है , क्या वे आपके धरने के लिए कारण नहीं बनती ??? 1998 से सैंकड़ों चिट फण्ड कम्पनियां ( शारदा मिला कर) गरीबों की मेहनत की कमाई मिटटी में मिला चुकी हैं , क्या उन गरीबों का पैसा दिलवाना आपके धरने का पर्याप्त कारण नहीं बनता ??? नदियां सड़ रही हैं , उनकी सफाई और अविरल बहना आपके धरने का कारण क्यों नहीं बनता ???4.50 करोड़ मुकदमे अदालतों में लम्बित पड़े हैं, बेगुनाह को न्याय चाहिए और गुनाहगार छुट्टे घूम रहे हैं,घटिया कानूनों की वजह से "निर्भया" के कातिल आज भी जिन्दा हैं और लचर कानून रोज असहाय निर्भया समाज में पैदा कर रहे हैं, क्या ये जायज कारण नहीं है धरना दे कर न्यायपालिका को सुधारने का????? बहुत से कारण हैं अन्ना जी सरकार का विरोध करने के क्यों नहीं नज़र आते आपको वे मुद्दे ???
अज्ञानी जनता के बीच भ्रान्तिया फैलानी हैं तो अगले चुनाव के दौरान हम फिर दुबारा उन्हें एक सूट पहना देंगे उसे आप लोग 10 करोड़ का बताना , देश को 100 करोड़ मिलेगा और 2004 की तरह सरकार बदल दीजियेगा , नया भूमि अधिग्रहण कानून ले आईयेगा, लेकिन भगवान के लिए कांग्रेस के लटकाये हुए कांटे में अपनी हलक न फसायिये जिसे यह मालूम था की अगली सरकार अगर इस कानून में बदलाव नहीं करेगी तो वो एक कदम नहीं चल पाएगी।(http://economictimes.indiatimes.com/…/articles…/46376133.cms) इसी कांग्रेस ने 10 साल तक रेलभाड़ा न बढ़ा कर इस सरकार को मजबूर कर दिया भाड़ा बढ़ाने और गालियां खाने के लिए।
आप सरकारी पेंशन पा कर व्यक्तिगत रूप से मोहमाया त्याग सकते हैं, लेकिन भारत के लाखों नौजवानों के आगे मुंह और पेट भी है।
वैसे यदि आप निष्पक्ष होते तो स्वच्छता अभियान में कभी तो नजर आए होते, क्या वो भी देश हित में नहीं है????
बड़ी सोच रखिये और बड़ी सोच का जादू देखिये।
सोच बदलेंगे, देश बदलेगा
अज्ञानी जनता के बीच भ्रान्तिया फैलानी हैं तो अगले चुनाव के दौरान हम फिर दुबारा उन्हें एक सूट पहना देंगे उसे आप लोग 10 करोड़ का बताना , देश को 100 करोड़ मिलेगा और 2004 की तरह सरकार बदल दीजियेगा , नया भूमि अधिग्रहण कानून ले आईयेगा, लेकिन भगवान के लिए कांग्रेस के लटकाये हुए कांटे में अपनी हलक न फसायिये जिसे यह मालूम था की अगली सरकार अगर इस कानून में बदलाव नहीं करेगी तो वो एक कदम नहीं चल पाएगी।(http://economictimes.indiatimes.com/…/articles…/46376133.cms) इसी कांग्रेस ने 10 साल तक रेलभाड़ा न बढ़ा कर इस सरकार को मजबूर कर दिया भाड़ा बढ़ाने और गालियां खाने के लिए।
आप सरकारी पेंशन पा कर व्यक्तिगत रूप से मोहमाया त्याग सकते हैं, लेकिन भारत के लाखों नौजवानों के आगे मुंह और पेट भी है।
वैसे यदि आप निष्पक्ष होते तो स्वच्छता अभियान में कभी तो नजर आए होते, क्या वो भी देश हित में नहीं है????
बड़ी सोच रखिये और बड़ी सोच का जादू देखिये।
सोच बदलेंगे, देश बदलेगा
विवेक मिश्र
26 फरवरी 2015
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